सरकार ने गुरुवार को बताया कि भारत के 272 मछुआरे विदेशी जेलों में बंद हैं और इनमें सबसे ज्यादा 220 पाकिस्तान में और 34 श्रीलंका में हैं। बांग्लादेश की जेलों में 10 और ईरान में आठ भारतीय मछुआरे बंद हैं। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में राज्यसभा को बताया कि सरकार भारतीय मछुआरों की सुरक्षा, हिफाजत और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। हमारे मिशन और केंद्र विदेशों में बंदी बनाए गए भारतीय मछुआरों को नियमित रूप से काँसुल सुविधाएं प्रदान करते हैं और उनकी देखभाल सुनिश्चित करते हैं।

श्रीलंका द्वारा अक्सर भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किए जाने के मुद्दे पर विभिन्न सदस्यों की चिंता पर सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा का सीमांकन नहीं होना भी समस्या का एक प्रमुख कारण है।
श्रीलंका का आरोप है कि भारतीय मछुआरे ‘बॉटम ट्रॉलिंग’ तरीके से मछली पकड़ते हैं और इस तरीके को मछली उद्योग में अच्छा नहीं माना जाता है।

उन्होंने कहा कि जब तक दोनों देशों के मछुआरों के बीच सहमति नहीं बनती, इस मुद्दे का हल हो पाना कठिन है। हालांकि इस संबंध में तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन सहमति नहीं बन पाई। अभी श्रीलंका की जेलों में 34 मछुआरे बंद हैं। इसके अलावा 19 नौकाएं भी उनके कब्जे में हैं। सरकार भारतीय मछुआरों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पहल करती है।

पाकिस्तान का जिक्र करते हुए विदेश राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि हमारे पास मई, 2008 में काँसुल सुविधा से संबंधित द्विपक्षीय करार की व्यवस्था है। इसके तहत भारत-पाकिस्तान संयुक्त न्यायिक समिति दोनों देशों की जेलों का दौरा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मछुआरे सहित अपनी सजा पूरी कर चुके विभिन्न कैदियों के साथ मानवतापूर्ण व्यवहार हो तथा उनकी रिहाई शीघ्र हो। इस समिति में दोनों देशों के सुप्रीम कोर्ट सेवानिवृत्त न्यायाधीश शामिल हैं।

प्रश्नकाल में ही सिंह ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि कुवैत ने पिछले दिनों जिन 1700 भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार कर वापस भेजा था, उन्होंने वीजा नियमों का उल्लंघन किया था। खाड़ी के कई देशों के साथ भारत के समझौते हैं और वैध वीजा पर वहां जाकर काम करने वालों के मामले में कोई परेशानी नहीं होती। अगर ऐसे लोगों के साथ कोई समस्या आती है तो समझौते के तहत उनकी समस्या का हल किया जाता है।

और भारतीय मिशन की इसमें अहम भूमिका होती है। सिंह ने कहा कि समस्या तब पैदा होती है जब वे अवैध तरीके से वहां पहुंचते हैं या पर्यटक वीजा को विभिन्न प्रकार से कार्य वीजा में बदलवा लेते हैं। सरकार अपने नागरिकों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और सूचना मिलने ही त्वरित आधार पर कार्रवाई की जाती है। भारतीय कामगारों की सहूलियत के लिए दुबई में केंद्र स्थापित किया गया है और ऐसे ही दो केंद्र सऊदी अरब और मलयेशिया में खोले जाने हैं।