International Rabies Day 2022: रेबीज के बारे में जागरूकता पैदा करने और लोगों को इस घातक बीमारी से बचाने के लिए हर साल 28 सितंबर को दुनिया भर में रेबीज दिवस मनाया जाता है। यह दिन फ्रांसीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्म जीवविज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि का प्रतीक है, जिन्होंने 1885 में पहली रेबीज वैक्सीन विकसित की थी। आज यह वैक्सीन जानवरों और इंसानों के लिए अहम भूमिका निभा रही है। इसके इस्तेमाल से इंसानों में रेबीज के खतरे को कम किया जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एशिया और अफ्रीका में इस जूनोटिक बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है। भारत में रेबीज के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। दुनिया में रेबीज के 36 फीसदी मामले भारत में होते हैं। इस साल 16वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जा रहा है। रेबीज दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है और इस साल की थीम ‘रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्स’ है। यह विषय मनुष्यों और जानवरों के बीच संबंधों को बढ़ाने के बारे में है।

कुत्ते के काटने से फैलता है रेबीज

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लस्सा वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से मनुष्यों में रेबीज का संक्रमण होता है। यह एक जूनोटिक बीमारी है जो संक्रमित बिल्लियों, कुत्तों और बंदरों के काटने से इंसानों में फैल सकती है। इससे मस्तिष्क में सूजन भी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि रेबीज के 99 प्रतिशत मामले कुत्तों से इंसानों में फैलते हैं, जिससे रेबीज से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ जाती है।

कुत्ते या किसी अन्य जानवर के काटने पर सबसे पहले यह करें

डॉक्टर के पास जाने से पहले घाव को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धो लें। घाव पर जलन पैदा करने वाली चीजों को लगाने से बचें। यह सोचकर ज्यादा खून न बहाएं कि खून के साथ वायरस निकलेगा। इसके साथ ही घाव की सिलाई न करें। ऐसा करने से वायरस नर्व से रीढ़ की हड्डी तक जा सकता है। एक महीने तक इसका इलाज करना होता है। उपचार के दौरान सावधान रहें, किसी भी तरह के नशे का सेवन न करें। इसके बाद डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंटी रैबीज का टीका लगवाना चाहिए। यदि आपको रेबीज से संक्रमित कुत्ते ने काट लिया है, तो तुरंत उचित उपचार शुरू किया जाना चाहिए।

रेबीज दिवस का इतिहास क्या है? (World Rabies Day 2022 Know About History)

विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था। डब्ल्यूएचओ, अमेरिका और एलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को रेबीज के खतरों और टीके के लाभों के बारे में जागरूक करना था। धीरे-धीरे इन संगठनों ने दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए और लोगों को अपने साथ जोड़ने का काम किया। तब से हर साल 28 सितंबर को रेबीज डे मनाया जाने लगा। विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बीमारी के दुष्प्रभावों और इससे बचाव के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता फैला रहा है।