ह्यूमन बॉडी एक सिस्टेमेटिक तरीके से काम करती है। हमारे शरीर का हर अंग बॉडी की फंक्शनिंग के लिए अलग-अलग तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के इन्हीं जरूरी अंगों में से एक हैं लंग्स यानी फेफड़े। मुख्य रूप से फेफड़े का काम वातावरण से वायु को खींचकर उससे ऑक्सीजन को छानकर खून के कतरे-कतरे में पहुंचाना है, साथ ही शरीर के अंदर बन रहे कार्बनडायऑक्साइड को बाहर निकालने का काम भी फेफड़े ही करते हैं। इसके अलावा फेफड़े बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से हमें बचाते हैं। आसान भाषा में कहें, तो जब कभी इंफेक्शन फैलाने वाले माइक्रो ऑर्गेनाइज्म यानी सूक्ष्मजीव बॉडी पर हमला करते हैं, तो फेफड़ों में मौजूद म्यूकोसिलयरी क्लीयरेंस इनका जड़ से सफाया करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में फेफड़ों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी हो जाता है।

हालांकि, आज के समय में अनहेल्दी लाइफस्टाइल और पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण और विषाक्त पदार्थों के कारण फेफड़ों के कैंसर के रोगी बढ़ते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों में लगभग 5 से 1 मौत फेफड़े के कैंसर के कारण होती हैं। ऐसे में इसे लेकर लोगों को जागरूक करने और इससे निजात पाने को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 1 अगस्त के दिन को वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे (World Lung Cancer Day) के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में इस लेख में हम आपको तीन ऐसी आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो तेजी से लंग्स को अंदर से सड़ाकर फेफड़ों के कैंसर का कारण बनती हैं।

धूम्रपान

फेफड़ा के कैंसर के सबसे बड़े और अहम कारणों में से धूम्रपान एक है। बीड़ी-सिगरेट का धुआं वायुमार्ग में सिकुड़न पैदा कर देता है, जिसके चलते व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में फेफड़ों में सूजन बढ़ जाती है। यही वजह है कि धूम्रपान को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का प्रमुख कारण माना जाता है। वहीं, अधिक चिंता की बात यह है कि ये धुआं ना केवल धूम्रपान करने वालों के लिए खतरनाक है, बल्कि अधिक समय तक इसके संपर्क में रहने वालों में भी ये लंग्स कैंसर का कारण बन सकता है।

अधिक शुगर का सेवन

आपको जानकर हैरानी हो सकती हैं, लेकिन मीठे के शौकीन लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। कई अध्ययनों ने सामान्य लोगों की तुलना में मधुमेह यानी डायबिटीज के पीड़ितों में फेफड़े के कैंसर होने की ज्यादा संभावना बताई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, डायबिटीज रोगियों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) का खतरा ज्यादा रहता है। इस रोग के लक्षण सांस फूलने से शुरू होते हैं और तेजी से लंग्स कैंसर का कारण बन सकते हैं।

साफ-सफाई में ढीलापन

जैसा की ऊपर जिक्र किया गया है, प्रदूषण और खराब हवा फेफड़ों में कैंसर को बढ़ावा देने के मुख्य कारणों में से एक है। वहीं, बेहद कम लोग जानते होंगे कि इसमें सबसे अधिक खराब इनडोर प्रदूषण अटैक करता है। आसान भाषा में कहें, तो अधिकतर लोग दिन का ज्यादातर वक्त घर या ऑफिस में बिताते हैं। ऐसे में अगर हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं है, तो इससे भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचने का जोखिम बढ़ जाता है। कई बार तो बाहर के मुकाबले घर के अंदर की हवा अधिक प्रदूषित हो सकती है, इसके पीछे की वजह है अपने आसपास सफाई ना रखना। ध्यान रहें कि आपके आसपास सफाई रहेगी, तभी स्वच्छ हवा आप तक पहुंच पाएगी। ऐसे में साफ-सफाई में ढीलापन बिल्कुल ना बरते।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।