World Arthritis Day 2024: आर्थराइटिस (Arthritis) जोड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या लाखों में है लेकिन बावजूद इसके अधिकतर लोग इसके लक्षण और उपचार के बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे में ये समस्या समय के साथ और गंभीर होती चली जाती है। इसी कड़ी में अर्थराइटिस और उससे संबंधित परेशानियों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 12 अक्टूबर को विश्व अर्थराइटिस दिवस (World Arthritis Day 2024) मनाया जाता है।
आइए इस लेख के माध्यम से समझते हैं कि आर्थराइटिस है क्या, इससे पीड़ित होने पर किस तरह के लक्षण नजर आते हैं, साथ ही जानेंगे कि किन लोगों को इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है।
क्या होता है आर्थराइटिस?
मामले को लेकर नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स डॉ. हेमंत बंसल बताते हैं, ‘आर्थराइटिस शरीर के किसी भी जोड़ को प्रभावित करने वाली गंभीर बीमारी है। जोड़ शरीर का वो प्वाइंट होता है, जहां से दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं। आर्थराइटिस के 100 से अधिक प्रकार होते हैं। हालांकि, इनमें ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis) और रूमेटोइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) सबसे आम हैं।’
ऑस्टियो आर्थराइटिस क्या है?
डॉ. बंसल के मुताबिक, ऑस्टियो आर्थराइटिस उम्र से संबंधित जोड़ों की बीमारी है, जिसमें शरीर के जोड़ का कार्टिलेज धीरे-धीरे टूटता है। इससे जोड़ की हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं और पीड़ित को सूजन, दर्द और जकड़न की समस्या होती है। यह आमतौर पर घुटनों, कूल्हों, रीढ़ की हड्डी और हाथों में होने वाली समस्या है।
रूमेटोइड अर्थराइटिस क्या है?
रूमेटोइड अर्थराइटिस के बारे में बात करते हुए डॉ. बताते हैं, रूमेटोइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही जोड़ के ऊतकों पर हमला करता है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द की परेशानी बढ़ जाती है, साथ ही यह अन्य अंगों को भी प्रभावित करने लगता है। डॉ. के मुताबिक, रूमेटोइड अर्थराइटिस आमतौर पर हाथों, कलाई, घुटनों और कूल्हों में होता है। अर्थराइटिस की समस्या समय के साथ गंभीर होती जाती है, ऐसे में इस समस्या के प्रति सतर्कता बेहद जरूरी है।
कैसे होते हैं अर्थराइटिस के लक्षण?
इस सवाल को लेकर डॉ. योगेश कुमार, डायरेक्टर, आर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट, स्पोर्ट्स इंजरी बताते हैं, ‘अर्थराइटिस होने पर पीड़ित को जोड़ों में दर्द और सूजन, सुबह के समय जोड़ का कड़कपन, लचीलेपन की कमी और जोड़ों में लालिमा के साथ गर्मी महसूस होना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इस तरह की परेशानी होने पर हेल्थ एक्सपर्ट्स से सलाह जरूर लें। इससे समय रहते समस्या को समझने और सही इलाज कर इसे बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।
किन लोगों में ज्यादा रहता है अर्थराइटिस का खतरा?
- डॉ. कुमार के मुताबिक, अर्थराइटिस की समस्या के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। सबसे पहले, आनुवंशिकता एक प्रमुख कारक है। यानी अगर आपके परिवार में अर्थराइटिस का इतिहास रहा है, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है।
- उम्र भी एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ जोड़ कमजोर होने लगते हैं, जिससे ऑस्टियो आर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है।
- इसके अलावा अधिक वजन होना जोड़ों, विशेषकर घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे दर्द और सूजन की समस्याएं बढ़ जाती हैं।
अर्थराइटिस से बचाव का तरीका क्या है?
- धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डायरेक्टर एंड सीनियर कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट डॉ. बी एस मूर्ति बताते हैं, अर्थराइटिस को पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है लेकिन सही देखभाल और समय पर उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- जोड़ों की देखभाल के लिए सबसे पहले, वजन नियंत्रण पर ध्यान देना जरूरी है। वजन सही बनाए रखने से जोड़ पर दबाव कम होता है, जिससे दर्द और सूजन में कमी आती है।
- नियमित रूप से हल्के व्यायाम जैसे योग, तैराकी और वॉकिंग करना जरूरी है। ये जोड़ की लचक और ताकत को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- आहार में कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ की मात्रा बढ़ाएं।
- अपना पोस्चर को सही बनाए रखें। बैठने, खड़े होने और चलने के समय सही पोस्चर से जोड़ पर दबाव कम होता है।
- बहुत ठंडी या गर्म जगहों पर जोड़ को सुरक्षित रखें। खासकर सर्दी के समय लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें, बीच-बीच में उठकर थोड़ी स्ट्रेचिंग करते रहे।
- इन सब से अलग आप डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक और सूजन कम करने वाली दवाओं का सेवन कर सकते हैं। साथ ही अगर अन्य उपचार प्रभावी नहीं होते हैं, तो डॉक्टर जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसे विकल्प की सलाह दे सकते हैं।
इन सभी उपायों को अपनाकर जोड़ों की सेहत को बेहतर किया जा सकता है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।