मेनोपॉज यानी रजोनिवृति एक कुदरती प्रक्रिया है जो 45 से 50 के बीच की महिलाओं में होती है। जब महिलाओं में प्रजनन हार्मोन की मात्रा घटने लगती है तब मेनोपॉज होता है। इस प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शरीर के अंदर कई बदलाव होते हैं जिसके कारण चिंता, अवसाद, बेचैनी से गुजरना पड़ता है। इससे कई सारे लक्षण एक साथ दिखने लगते हैं। अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल बेंगलुरु में लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नंदा रजनीश कहते हैं कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में वैरिकॉज वैंस की समस्या आम है। आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और इसका उपचार कैसे करें।
क्या होता है वैरिकोज वैंस?
अपोलो क्रेडल अस्पताल के डॉ नागराथना ने बताया कि वैरिकोज वैंस की बीमारी आमतौर पर मेनोपॉज के दौरान होती है। सरल शब्दों में कहें तो इस बीमारी में वैरिकोज नसें मुड़ने लगती। यह बीमारी सबसे पहले पैरों में दिखाई देती हैं। नसों का रंग बैंगनी हो जाता है। चूंकि मेनोपॉज की प्रक्रिया कुछ सालों तक चलती रहती है इसलिए इस दौरान अधिकांश महिलाओं में यह परेशानी दिखती रहती है।
दरअसल, प्रजनन हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन जब सक्रिय रहता है तो यह प्रजनन कार्यों के अलावा ब्लड वाल्व को लचीला बनाने में भी मदद करता है. इससे खून का फ्लो बढ़ता है। लेकिन मेनोपॉज के दौरान ये दोनों हार्मोन कम होने लगते हैं जसके कारण खून की नलिकाएं कमजोर और सूखने लगती है और वाल्व में खून जमा होने लगता है। इससे वैरिकोज वैंस बनने लगते हैं।
वैरिकोज वैंस से राहत पाने के उपाय:
अधिकांश महिलाओं में वैरिकोज वैंस के दौरान दर्द नहीं होता है। कुछ महीने बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ महिलाओं में वैरिकोज वैंस होने पर ये दर्द भी करने लगता है। इस कारण पैरों में भारीपन आ जाता है और कई तरह की स्किन प्रोब्लम भी होने लगती हैं। इस कारण पैरों में अल्सर और खुजली की शिकायत भी हो सकती है। वहीं अचानक ब्लीडिंग भी हो सकती है। इस स्थिति में महिला को सर्जरी कराने की जरूरत पड़ती है।
डॉ नंदा कहते हैं कि ऐसी स्थिति में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कर यह देखते हैं कि पैरों में ब्लड फ्लो कहां रूका हुआ है। शुरुआत में सर्जन लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह देते हैं। इसके लिए हल्की एक्सरसाइज करने के लिए कहा जाता है जिसमें पैरों की एक्ससाइज होती है। एक्सरसाइज करने से ब्लड सर्कुलेशन सही होता है। इसके अलावा आराम के दौरान पैरों को उपर-नीचे करने के लिए कहा जाता है। सोते समय पैरों को उपर उठा कर सोना पड़ता है। इसके लिए ज्यादा देर एक साथ खड़ा नहीं होना होता है। इसके अलावा कंप्रेशन सॉक पहनना बेहतर होता है।