दिल्ली के CM Arvind Kejriwal  शराब घोटाला मामले में 21 मार्च से ED की हिरासत में हैं। ED की हिरासत में केजरीवाल की शुगर में कई बार उतार-चढ़ाव देखा गया है। अरविंद केजरीवाल के वकील ने सुनवाई में केजरीवाल को इंसुलिन मुहैया कराने की मांग रखी है। केजरीवाल के वकील ने कहा है कि जेल में उनकी शुगर की निगरानी की जाए और ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए उन्हें इंसुलिन थेरेपी दी जाए। तिहाड़ के अधिकारियों ने अरविंद केजरीवाल के इंसुलिन के अनुरोध पर एलजी को रिपोर्ट सौंपी है।

अब सवाल ये उठता है कि अरविंद केजरीवाल टाइप-2 डायबिटीज के मरीज हैं और अभी तक उनकी शुगर दवाइयों से नॉर्मल जा रही थी अचानक से एक महीने के अंदर इंसुलिन लेने की नौबत क्यों आ गई? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज मरीज को इंसुलिन लेने की नौबत कब और क्यों आती है?

कंसल्टेंट डायबिटोलॉजिस्ट डॉक्टर शंकर कुमार के मुताबिक टाइप-1 डायबिटीज के मरीज में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है इसलिए उन्हें इंसुलिन दी जाती है लेकिन टाइप-2 डायबिटीज के मरीज में पैंक्रियाज इंसुलिन का कम उत्पादन करता है जो दवाइयों से नॉर्मल किया जा सकता है। टाइप-2 डायबिटीज इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज नहीं है। अगर टाइप-2 डायबिटीज मरीज को इंसुलिन देने की नौबत आती है तो उसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। 

 टाइप-2 डायबिटीज मरीज को इंसुलिन लेने की नौबत कब आती है?

अरविंद केजरीवाल टाइप-2 डायबिटीज मरीज है। आमतौर पर टाइप-2 डायबिटीज को दवाइयों से कंट्रोल किया जा सकता है। अगर ब्लड शुगर लगातार फ्लकचुएट होती है तो उसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं।  डॉक्टर शंकर ने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज मरीज को इंसुलिन देने की नौबत कई कारणों की वजह से आती हैं जैसे किसी तरह का इंफेक्शन होना, सर्जरी होना और जरूरत से ज्यादा तनाव होने से ब्लड में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है और दवाई काम करना बंद कर देती है। 

इस स्थिति में टाइप-2 डायबिटीज मरीज का ब्लड शुगर नॉर्मल नहीं किया जाए तो दिल के रोगों का, किडनी और लंग्स को नुकसान पहुंच सकता है। अगर टाइप-2 डायबिटीज मरीज की लम्बे समय तक दवा से शुगर कंट्रोल नहीं हो रही तो इस स्थिति में मरीज को इंसुलिन देना पड़ता है। 

एक्सपर्ट के मुताबिक यदि किसी को टाइप 1 डायबिटीज है तो उसे हेल्दी रहने के लिए इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता होती है। यह उस इंसुलिन की भरपाई करता है जो आपका शरीर नहीं बनाता। यदि आपको टाइप 2 डायबिटीज है तो इंसुलिन थेरेपी आपके उपचार का हिस्सा तब हो सकती है जब दवाईयां असर करना बंद कर दें। 

टाइप-2 डायबिटीज मरीज अगर लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं करता और लगातार तनाव में रहता है तो उसे शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर टाइप-2 डायबिटीज मरीज की इंसुलिन का इस्तेमाल करने के बाद ब्लड शुगर नॉर्मल आने लगती है तो इंसुलिन का सेवन कुछ समय बाद बंद कर दिया जाता है।

अरविंद केजरीवाल इंसुलिन लेना क्यों बंद क्या था?

अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ सालों से इंसुलिन का इस्तेमाल करते थे, माना जाता है कि उन्होंने जेल जाने से कुछ समय पहले इंसुलिन लेना बंद कर दिया था। हो सकता है उनकी शुगर दवा से ही नॉर्मल हो गई हो इसलिए उन्होंने इंसुलिन से ब्लड शुगर नॉर्मल करना बंद कर दिया होगा।

 टाइप-2 डायबिटीज मरीज इंसुलिन लेने से बचना चाहते हैं तो इन उपायों को अपनाएं

  • गैस्ट्रो लिवर हॉस्पिटल कानपुर में डॉक्टर वीके मिश्रा के मुताबिक टाइप-2 डायबिटीज मरीज अगर डाइट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कंट्रोल कर लें तो आसानी से बिना इंसुलिन के भी अपनी शुगर को नॉर्मल कर सकते हैं।
    डाइट में प्रोटीन का अधिक सेवन करे और कैलोरी को घटाएं। आप अपनी डाइट में कार्ब्स का उतना ही सेवन करें जितना आपकी बॉडी के लिए जरूरी है।
  • अपने वजन को कंट्रोल करें। वजन को कंट्रोल करने के लिए आप एक्सरसाइज करें,बॉडी को एक्टिव रखें। योग और मेडिटेशन करके भी टाइप-2 डायबिटीज मरीज इंसुलिन लेने से बच सकते हैं। आप वॉक करके, एरोबिक्स एक्सरसाइज करके ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल कर सकते हैं। एक्सरसाइज करने से दिल के रोगों से बचाव होता है और ब्लड शुगर नॉर्मल आता है। एक्सरसाइज करके बॉडी को एक्टिव रखकर आप तनाव से दूर रह सकते हैं और इंसुलिन लेने से बच सकते हैं।
  • बॉडी को रिलेक्स रखें, एक्सरसाइज करें, वेट कंट्रोल करें आपकी शुगर नॉर्मल रहेगी। ये सब करने के बाद शुगर नॉर्मल नहीं जाए तो आप तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाएं। दवाइयों का सेवन पैंक्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाता है। दवाई का सेवन करने से इंसुलिन देर तक ब्लड में रहेगा और ब्लड शुगर नॉर्मल रहेगी।