आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं, जिसमें पाचन और गट हेल्थ सबसे आम है। पाचन तंत्र अच्छा बना रहे, इसके लिए आंतों का ख्याल रखना बहुत ही आवश्यक है। आंतों के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाए, तो इससे इंसुलिन की कार्यक्षमता घटती है, सूजन बढ़ती है और कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा आंतों में मौजूद बैक्टीरिया आपके ब्लड शुगर लेवल को सीधे प्रभावित करते हैं। ल्यूसीन रिच बायो प्राइवेट लिमिटेड के को-फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. देबोज्योति धर के मुताबिक, अक्सर हम डायबिटीज की बात करते समय केवल चीनी और इंसुलिन पर ध्यान देते हैं, लेकिन असली कंट्रोल सेंटर हमारी गट हेल्थ होती है।
डॉ. देबोज्योति धर ने बताया कि आंतों में मौजूद सूक्ष्मजीव अगर असंतुलित हो जाएं, तो वे इंसुलिन सेंसिटिविटी, सूजन और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं, जिससे ब्लड शुगर अस्थिर हो जाता है और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। डॉ. धर के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों की गट माइक्रोबायोम में एससीएफए बनाने वाले लाभदायक बैक्टीरिया, जैसे फेकैलिबैक्टीरियम प्रौसनिट्जी और रोजबुरिया शामिल होते हैं, जबकि सूजन बढ़ाने वाले हानिकारक जीवाणु अधिक हो जाते हैं। जब गट का यह संतुलन बिगड़ता है, तो आंत की बैरियर फंक्शन यानी सुरक्षा दीवार कमजोर हो जाती है। इसके कारण LPS (लिपोपॉलीसैकराइड) टॉक्सिन शरीर में फैलता है, जिससे लगातार सूजन बनी रहती है। यह सूजन इंसुलिन की कार्यक्षमता घटा देती है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, जो टाइप-2 डायबिटीज का प्रमुख कारण है।
गट हेल्थ का कैसे रखें ध्यान
डॉ. धर के मुताबिक, गट हेल्थ को ठीक रखने के लिए केवल दवाएं नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है। हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मॉडरेट एक्सरसाइज करें, जैसे तेज चलना, तैराकी या साइकिलिंग आदि। इसके अलावा हफ्ते में दो बार वेट एक्सरसाइज भी करें, जिससे गट माइक्रोब्स की विविधता बढ़ती है और एंडोटॉक्सिन का लेवल घटता है।
सही खानपान जरूरी
गट हेल्थ को स्वस्थ रखने के लिए खानपान का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। ऐसे में पहले फाइबर खाएं, फिर प्रोटीन और फैट व कार्बोहाइड्रेट खाना आंत के लिए अच्छा होता है। इससे ब्लड शुगर स्पाइक्स होने का खतरा कम होता है।
क्या खाएं और क्या नहीं
- प्रिबायोटिक और फर्मेंटेबल फाइबर- चने, दालें, ओट्स, ठंडे किए गए आलू या चावल, कच्चे केले और आर्टिचोक।
- फर्मेंटेड फूड्स- बिना चीनी वाला दही, केफिर, किमची, सावरक्रॉट और सोया फर्मेंटेड फूड्स।
- हेल्दी फैट्स- ओमेगा-3 स्रोत जैसे अलसी, चिया सीड्स, फैटी फिश और साल्मन।
- पॉलीफेनॉल रिच फूड्स- ग्रीन टी, बेरीज, डार्क चॉकलेट (70% से अधिक), हल्दी और अदरक आदि चीजों का सेवन करना चाहिए।
इन चीजों से बचें
- रिफाइंड शुगर और कार्ब्स- सोडा, पेस्ट्री, सफेद ब्रेड, जो शुगर स्पाइक और हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ाते हैं।
- सैचुरेटेड फैट्स- प्रोसेस्ड मीट, फुल-फैट डेयरी, पाम ऑयल और मक्खन से दूरी रखें।
- आर्टिफिशियल स्वीटनर- जैसे सैकरीन और सुक्रालोज, जो गट बैक्टीरिया को असंतुलित करते हैं।
- अनावश्यक एंटीबायोटिक्स- ये गट माइक्रोब्स को नष्ट करते हैं और SCFA प्रोडक्शन घटाते हैं।
वहीं, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने टॉप 10 गट-फ्रेंडली स्नैक्स शेयर किए हैं। उन्होंने बताया कि ये हेल्दी स्नैक्स पेट को हल्का रखते हैं, डाइजेशन को सपोर्ट करते हैं और एनर्जी लेवल को स्टेबल बनाए रखते हैं।