Blood and Culture Blood Tests: खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल हमें जाने अनजाने में ही बीमार बना रहा है। कुछ बीमारियां ऐसी है जिसके बॉडी में लक्षण नहीं दिखते या काफी देर से दिखते हैं। बॉडी में होने वाली ज्यादातर बीमारियों का पता टेस्ट के जरिए लगाया जाता है। किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड, मूत्र और मल का टेस्ट कराते हैं। इसके बाद ही बीमारी की जड़ तक पहुंच पाते हैं। रूटीन और कल्चर ब्लड टेस्ट दो ऐसे टेस्ट है जिसे डॉक्टर सबसे पहले करने की सलाह देते हैं। अब सवाल ये उठता है कि रूटीन ब्लड टेस्ट और कल्चर ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है? इन टेस्ट को करने की जरूरत कब पड़ती है।
वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मुंबई सेंट्रल में एमडी, पैथोलॉजी, डॉ. ऋचा अग्रवाल ने बताया कि पैथोलॉजी प्रयोगशाला में यूरीन, स्टूल, ब्लड, बॉडी फ्लूड और टिशू सहित विभिन्न शारीरिक नमूनों को एकत्रित करके बीमारी का पता लगाया जाता है। ये टेस्ट डायबिटीज, संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारी का पता लगाने में खासतौर पर किए जाते हैं। हर एक टेस्ट बीमारी का जड़ से पता लगाने में अहम है। एक्सपर्ट ने बताया कि इन टेस्ट की मदद से ही डॉक्टर बीमारी का पता लगाकर इलाज करते हैं। आइए जानते हैं कि दोनों टेस्ट में क्या अंतर है।
कल्चर टेस्ट क्या है?
कल्चर टेस्ट ब्लड टेस्ट है जो बैक्टीरिया और वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया जाता है। कल्चर टेस्ट इसलिए किया जाता है कि खून या पेशाब या स्टूल में कोई बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या अन्य सूक्ष्मजीव तो नहीं है। अगर है तो उसका पता लगाकर बताया जाता है कि ये बैक्टीरिया है और इससे ये बीमारी हुई है। ये बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण का कारण बनते हैं और कई बीमारियों को बॉडी में जन्म देते हैं। कल्चर ब्लड का भी होता है यूरिन को भी होता है और स्टूल का भी होता है।
इस टेस्ट को कराने के लिए लैब में खून का नमूना लिया जाता है। ये टेस्ट खाली पेट किया जाता है। कल्चर टेस्ट आपके डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद करता है कि क्या आपके रक्त प्रवाह में कोई ऐसा संक्रमण है जो आपके पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। डॉक्टर इसे सिस्टमिक संक्रमण कहते हैं। यह परीक्षण आपके रक्त के नमूने में बैक्टीरिया या यीस्ट की जांच करता है जो संक्रमण का कारण हो सकता है।
रूटीन ब्लड टेस्ट
रूटीन टेस्ट पूरी तरह से ब्लड का टेस्ट है जिसे क्ंप्लीट ब्लड काउंट (CBC) के नाम से जानते हैं। यह टेस्ट ब्लड के विभिन्न घटकों जैसे लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को मापता है, एनीमिया, संक्रमण और क्लोटिंग डिसऑर्डर जैसी स्थितियों में बीमारी का पता लगाने में मदद करते हैं।
कल्चर टेस्ट कौन-कौन सी बीमारी का पता लगाने में करते हैं मदद
- गंभीर सिरदर्द
- सांस लेने में दिक्कत
- दिल की गति में वृद्धि
- मांसपेशियों में दर्द
- बुखार का कारण
- यूरिन डिस्चार्ज में कमी होने
- चक्कर आने
- मतली और उल्टी
- ज्यादा थकान
- मानसिक उलझन
- तेज ठंडक का पता लगाने के लिए ये टेस्ट किया जाता है।
कल्चर ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है?
ट्रस्ट लैब डायग्नोस्टिक्स में आणविक जीव विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान और सीरोलॉजी के एचओडी डॉ. जानकीराम बोब्बिलापति ने बताया कि मल की जांच शारीरिक विशेषताओं का मूल्यांकन करती हैं। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव,Salmonella या परजीवियों की उपस्थिति जैसे मुद्दों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इन टेस्ट की मदद से गैस्ट्रोएंटेराइटिस, फूड पॉइजनिंग और क्रोनिक डायरिया का पता लगाया जा सकता है।
कल्चर ब्लड टेस्ट सेप्सिस, एंडोकार्डिटिस और हड्डी के संक्रमण जैसे गंभीर संक्रमणों के निदान के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए ब्लड के नमूने को इनक्यूबेट करके, किसी भी मौजूदा बैक्टीरिया या कवक को विकसित किया जा सकता है और पहचाना जा सकता है। स्टूल कल्चर साल्मोनेला, शिगेला और ई. कोली जैसे रोगजनकों का पता लगाकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण का पता चलता है। ये परीक्षण गैस्ट्रोएंटेराइटिस, फूड पॉइजनिंग और क्रोनिक डायरिया जैसे लक्षणों के सटीक कारण का पता लगाने में मदद करते हैं।