What Is Insulin Resistance: लाइफस्टाइल और खराब डाइट के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होना आम बात है। ऐसे में शरीर में इंसुलिन का बढ़ जाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस आजकल एक तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जिसका प्रभाव ब्लड शुगर पर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के हार्मोनल बैलेंस पर पड़ता है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग और कई अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हार्मोन और गट हेल्थ कोच मनप्रीत कालरा ने बताया कि इंसुलिन रेजिस्टेंस को कैसे मैनेज करें, इसके लक्षण और इसे क्यों इग्नोर नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इंसुलिन रेजिस्टेंस मैनेज करने के लिए अपनी डाइट में कुछ सीड्स शामिल कर सकते हैं।
मेडिकल जर्नल द लांसेट में पब्लिश एक स्टडी बताती है कि साल 2050 तक डायबिटीज से पीड़ितों की संख्या 130 करोड़ को पार कर सकती है। इसमें भी टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ितों की संख्या अधिक देखने को मिल सकती है। ये स्टडी 1990 से लेकर 2021 के बीच की अवधि में डायबिटीज के चलते हुई मृत्यु और विकलांगता पर आधारित है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस लक्षण क्या हैं?
- पेट की चर्बी बढ़ना।
- थकान और सुस्ती महसूस करना।
- ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल में नहीं होना।
- भूख ज्यादा लगना और खासकर मीठा खाने की इच्छा बढ़ना।
क्या है इंसुलिन रेजिस्टेंस?
इन्सुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन पर ठीक से काम नहीं करता। इंसुलिन एक हार्मोन है, जिसे पैंक्रियास द्वारा बनाया जाता है। यह शरीर को ब्लड शुगर यानी ज्यादा ग्लूकोज से बचाता है। दरअसल, जब हम भोजन करते हैं, उसे हमारी बॉडी कार्बोहाइड्रेट तोड़कर शुगर (ग्लूकोज) में बदलती है। इसके बाद इंसुलिन की मदद से बॉडी की सेल्स इस शुगर को सोखकर एनर्जी बनाती है, जिसे फिर बॉडी हर तरह के काम के लिए इस्तेमाल करती है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस को इग्नोर करना क्यों खतरनाक है?
- डायबिटीज- अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस का इलाज न किया जाए, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके कारण लंबे समय तक ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल नहीं करने पर डायबिटीज में बदल सकता है।
- मेटाबोलिक सिंड्रोम- यह हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल का मिश्रण है, जो हार्ट रोग का जोखिम बढ़ाता है।
- हार्मोनल असंतुलन- इंसुलिन रेजिस्टेंस महिलाओं में पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) का कारण बन सकता है।
- लीवर की समस्या- इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण फैटी लिवर का जोखिम बढ़ जाता है।
इन्सुलिन रेजिस्टेंस से बचाव
- खानपान अच्छा करना- संतुलित और स्वस्थ आहार इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद करता है। इसके लिए फाइबर युक्त फूड्स जैसे साबुत अनाज, दालें, फल, हरी सब्जियां आदि का सेवन करें।
- नियमित व्यायाम करें- फिजिकल एक्टिविटी इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाती है। रोजाना 30 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज करें।
- तनाव से बचें- तनाव शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ा सकता है। इसके लिए मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए ये बीज खाएं
हार्मोन और गट हेल्थ कोच मनप्रीत कालरा के मुताबिक, इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करने के लिए कद्दू के बीज, अलसी और चिया के बीज फायदेमंद हो सकते हैं। इन सीड्स में मैग्नीशियम, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर आदि भरपूर मात्रा में होते हैं।