खराब जीवन-शैली, खानपान और तनाव से होने वाली बीमारियों में हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन भी शामिल है। हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे साइलेंट किलर कहते हैं, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण जल्दी पता नहीं चल पाते। यह बीमारी पहले बड़े-बुजुर्गों को हुआ करती थी, हालांकि आज इसकी चपेट में युवा भी आ रहे हैं। बता दें, जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है तो इसे कंट्रोल करने के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसी वजह से हाई ब्लड प्रेशर या फिर उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।
लंबे समय तक उच्च रक्तचाप रहने से हार्ट डिजीज के साथ अन्य खतरनाक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके कारण हार्ट फेलियर, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में समय पर हाई ब्लड प्रेशर की पहचान करना बेहद ही जरूरी है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण: उच्च रक्तचाप की समस्या होने कई कारणों से हो सकते हैं। किडनी की बीमारी, एल्कोहल का अधिक सेवन, नींद की समस्या, थायरॉइड, एड्रेनल ग्लैंड आदि की समस्या से कारण हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा यह अनुवांशिक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करती है। उम्र बढ़ने, मोटापे, शुगर या फिर अव्यवस्थित जीवन-शैली के कारण भी उच्च रक्तचाप हो सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण: उच्च रक्तचाप की बीमारी में यूं तो शुरुआत में लक्षण दिखाई नहीं देते। लेकिन बाद में यह दिल, दिमाग, आंख और किडनी जैसे अंगों पर अपने प्रभाव डालता है। इसके कारण सांस फूलना, पेशाब में खून आना, चक्कर, छाती में तेज दर्द, आंखों की रोशनी धुंधली होना, सिर दर्द और नाक से खून आने की समस्याएं होने लगती हैं। साथ ही उच्च रक्तचाप के मरीजों को हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण भी हो सकते हैं।
बचाव के उपाय: जो लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए डॉक्टर्स बीटा-ब्लॉकर्स, एसीई इंहिबिटर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स आदि दवाएं खाने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही अपनी जीवन-शैली और खानपान में बदलाव करके भी हाई बीपी की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।