दिल्ली और NCR में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि सब कुछ धुंआ- धुंआ सा दिख रहा है। काला आसमान और धुंधला रास्ता न सिर्फ राहगीरों के लिए मुसीबत बना है बल्कि ये हेल्थ इमरजेंसी भी बन गया है। इस प्रदूषित वातावरण में घर से बाहर निकलते ही आंखें जलने लगती है, खांसी ऐसा जोर पकड़ती है कि घंटों थमने का नाम नहीं लेती। सीने में जलन,सांस लेने में दिक्कत ये सभी परेशानियां सिर्फ प्रदूषित हवा से हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक कई जगह पर Air Quality Index 500 तक दर्ज किया गया है जो हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति है। देश की राजधानी दिल्ली धुंध की चादर में लिपटी हुई है। अब सवाल ये उठता है कि AQI क्या है और ये किस स्तर पर सेहत के लिए घातक हो सकता है।
AQI क्या है?
AQI का मतलब है “Air Quality Index” यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक। इस मापदंड की मदद से हवा में प्रदूषण के स्तर को समझने और उसकी गुणवत्ता का आकलन किया जाता है। AQI को आमतौर पर 0 से 500 तक के पैमाने पर मापा जाता है। इस स्तर को ग्रीन,येलो,ऑरेंज,रेड,पर्पल और मेहरून जैसे विभिन्न रंगों के जरिए दर्शाया जाता है। इन रंगों की मदद से यह समझना आसान होता है कि वायु की गुणवत्ता किस स्तर पर है।
कितना AQI का स्तर नॉर्मल है और किस स्तर पर हेल्थ इमरजेंसी के बन जाते हैं हालात
0-50 AQI का स्तर अच्छा माना जाता है जिसे Green रंग से दर्शाया जाता है।
51-100 AQI का स्तर मध्यम होता है जिसे पीले रंग से दर्शाया जाता है।
101-150 AQI का स्तर संवेदनशील लोगों के लिए खराब है जिसे Orange रंग से दर्शाया जाता है।
151-200 AQI का स्तर सेहत को प्रभावित करता है जिसे रेड रंग से दर्शाया जाता है।
201-300 AQI का स्तर बहुत खराब होता है जिसे Purple रंग से दर्शाया जाता है।
301-500 AQI का स्तर हेल्थ इमरजेंसी है जिसे Maroon रंग से दर्शाया जाता है।
500 AQI में सांस लेने से फेफड़ों पर कैसा होता है असर?
500 AQI सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ये स्तर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों पर सबसे ज्यादा असर करता है। इस स्तर की हवा में सांस लेने से फेफड़ों में सूजन हो सकती है। प्रदूषक कण जैसे PM2.5 (जो वायु में बहुत छोटे होते हैं) सीधे लंग्स में प्रवेश कर जाते हैं और लंग्स में सूजन का कारण बनते हैं। इस हवा में सांस लेने से दिक्कत होती है। दूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में डब्ट जमा हो जाता है और वो काले पड़ने लगते हैं। प्रदूषण का उच्च स्तर खांसी, गले में खराश, घबराहट, सांस लेने में दिक्कत और छाती में जकड़न जैसी परेशानियों को बढ़ा सकता है। हवा में प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने से सांस लेने में दिक्कत होती है और बॉडी में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है।
500 AQI होने पर इस तरह करें सेहत की देखभाल
- 500 AQI को सेहत के लिए बेहद खराब माना जाता है। इस स्तर पर सेहत की देखभाल करना है तो आप घर के अंदर रहें। घर के खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें और घर से बाहर नहीं जाएं।
- बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं को अगर सांस लेने में दिक्कत है या फिर दिल से जुड़ी कोई परेशानी है तो वो घर से बाहर कम निकले। घर से निकलते समय मुंह पर मास्क लगाए।
- घर में वेंटिलेशन का ध्यान रखें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं अगर वो नहीं है तो साफ हवा के लिए वेंटिलेशन का ध्यान रखें। सड़क के आस-पास की प्रदूषित हवा को घर में आने से रोकें।
- प्रदूषण में वॉक करने के लिए घर से बाहर नहीं निकलें, बाहर की हवा लंग्स पर दबाव डाल सकती है। घर में ही कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और योग करें।
- बॉडी को हाइड्रेट रखें। बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी का सेवन ज्यादा करें। गर्म पानी पिएं गला साफ होगा और लंग्स में भी गंदगी जमा नहीं होगी।
- इम्यूनिटी को स्ट्रांग करने के लिए हेल्दी डाइट का सेवन करें। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ताजे फल, सब्जियां और हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।
- जिन लोगों को एलर्जी या अस्थमा की परेशानी है वो अपनी दवा का सेवन करें।
- देसी नुस्खों का सहारा लें। आप तुलसी के पत्ते चबाएं। हल्दी और अदरक का सेवन बढ़ाएं। हल्दी और अदरक का सेवन श्वसन तंत्र को साफ रखने में मदद कर सकता है।