मिर्गी (epilepsy)एक ब्रेन की बीमारी है जिसमें दौरें पड़ते हैं। तीन से दस प्रतिशत मामलों में मस्तिष्क के आकार (brain size)में बदलाव की वजह से मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। मिर्गी के दौरे पड़ने की ये बीमारी सिर्फ बड़ों तक ही सीमित नहीं है बल्कि बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। जन्म के समय जो बच्चे मस्तिष्क के आकार में बदलाव के साथ पैदा होता हैं उसको मिर्गी हो सकती हैं।

मिर्गी के दौरे पड़ने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे सिर में चोट लगना, बुखार, ब्रेन ट्यूमर, इन्फेक्शन आदि की वजह से ब्रेन को नुकसान पहुंचना, बच्चों में किसी तरह के जन्मजात विकार होने से भी शिशु को दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है। जयपुर में इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विक्रम बोहरा के मुताबिक बच्चों में दौरे का सबसे आम प्रकार बुखार से होता है।

म‍िर्गी बच्‍चों में गंभीर किस्‍म की बीमारी होता है। 200 बच्‍चों में से एक बच्‍चा इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है। कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक न्‍यूरोलॉजिस्‍ट व एपिलेप्‍टोलॉजिस्‍ट, डॉ प्रदन्‍या गडगिल ने बताया है कि दिमाग इलेक्ट्रिक नेटवर्क से बना है जिसमें लाखों नेटवर्क होते हैं जिनके इशारों पर पूरा शरीर काम करता है।

कभी-कभी इन इलेक्ट्रिक नेटवर्क में गड़बड़ी होने लगती है जिसे बाहर से देखकर हम कहते हैं कि दौरा पड़ा है। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन बच्चों में इस बीमारी होने के कई कारण हैं जैसे ब्रेन में किसी कारण नुकसान पहुंचना और ये बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है। आइए जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और उसका उपचार कैसे करें।

बच्चों में मिर्गी के लक्षण: (Epilepsy Symptoms in Children)

  • बच्चों में अचानक मांसपेशियों मे झटका लगना और बॉडी में ऐंठन होना
  • मांसपेशियों में मरोड़ होना और सख्ती होना,
  • यूरीन और स्टूल पर कंट्रोल नहीं होना
  • बोलने में अस्मर्थ होना
  • मसल्स में कमजोरी और सुन्न होना
  • बार-बार एक ही गतिविधि क दोहराना जैसे ताली बजाना मिर्गी के लक्षण हैं।

बच्चे को मिर्गी है तो कैसे उपचार करें: (How to treat child epilepsy)

  • बच्चे की नींद का ध्यान रखें। कम नींद की वजह से बच्चे को दौरा पड़ने की परेशानी हो सकती है।
  • बच्चा गिर जाए या कोई अंदरूनी चोट लगें तो उसका घरेलू उपचार नहीं करें बल्कि डॉक्टर को दिखाएं।
  • इस बीमारी का उपचार दवाई से आराम से किया जा सकता है। बच्चे को रोजाना दवाई समय पर दें।
  • बच्चे को तेज रोशनी या शोर वाली जगह पर नहीं लेकर जाएं। रोशनी और शोर दौरे की वजह बन सकते हैं।