Diabetes Symptoms: डायबिटीज एक क्रॉनिक स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर की भोजन को एनर्जी में तब्दील करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों के शरीर में या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बन नहीं पाता है या फिर उनका इस्तेमाल नहीं हो पाता है। इस स्थिति में बीटा सेल्स इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्ड करना बंद कर देते हैं जिस वजह से ब्लडस्ट्रीम में शुगर की मात्रा अत्यधिक हो जाती है। लंबे समय तक ऐसा होने पर कई गंभीर बीमारियां जैसे कि हृदय रोग, अंधापन और किडनी डिजीज का खतरा रहता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक डायबिटीज का सही इलाज अब तक नहीं हो पाया है। लेकिन वजन कंट्रोल में रखने, हेल्दी डाइट और फिजिकली एक्टिव रहने से इस बीमारी पर काबू रखा जा सकता है। साथ ही, इस बीमारी के लक्षणों को जानकर भी मधुमेह की पहचान कर पाना संभव है।

इन 6 लक्षणों से करें पहचान: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डायबिटीज के लक्षण लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। निर्भर करता है कि मरीजों का ब्लड शुगर कितना बढ़ा हुआ है। उनके मुताबिक प्री-डायबिटीज और डायबिटीज टाइप 2 के मरीजों में शुगर बढ़ने के लक्षण तुरंत सामने नहीं आते हैं। वहीं, टाइप 1 डायबिटीज में लक्षण जल्दी और गंभीर दिख सकते हैं।

ज्यादा प्यास

बार-बार पेशाब लगना

बहुत भूख

वजन में गिरावट

थकान

धुंधलापन

घाव भरने में समय लगना

डायबिटीज के प्रकार: विशेषज्ञों के अनुसार डायबिटीज मुख्य तौर से तीन प्रकार की होती हैं। डायबिटीज टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज।

टाइप 1 डायबिटीज: माना जाता है डायबिटीज का ये प्रकार ऑटो-इम्युन रिएक्शन की वजह से शरीर को अपनी चपेट में लेता है। ऐसे में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। करीब 5 से 10 फीसदी मरीज इससे ग्रस्त हो सकते हैं। ये रोग खासकर बच्चों और युवाओं को अपना शिकार बनाती है। इसमें मरीजों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ सकता है।

डायबिटीज टाइप 2: इस स्थिति में शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल ठीक तरीके से नहीं कर पाता है जिससे ब्लड शुगर अनियंत्रित रह सकता है। करीब 90 से 95 फीसदी मरीज टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त हैं। ये वयस्कों को पना शिकार बनाती है, वहीं जीवन शैली में हेल्दी बदलाव लाने से इस बीमारी के मरीजों को फायदा होगा।


जेस्टेशनल डायबिटीज: हेल्दी गर्भवती महिलाओं में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है तो इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त महिलाओं से जन्में शिशु में बीमारियों से जूझने का खतरा अधिक होता है। डिलीवरी के बाद ये बीमारी खत्म हो जाती है लेकिन टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।