यूरिक एसिड बढ़ने से परेशान लोगों के लिए आवश्यक है कि वह अपने जीवनशैली में बदलाव करें। अपने खान- पान पर नियंत्रण रखें, साथ ही स्वस्थ वजन बनाए रखना, शारीरिक व्यायाम आदि पर विशेष ध्यान दें। दरअसल हम जो कुछ भी खाते हैं, उससे यूरिक एसिड बनता है। वैसे तो किडनी इस एसिड को फिल्टर करती है और बॉडी के बाहर निकाल देती है।

लेकिन किसी वजह से ज्यादा यूरिक एसिड बनने लगे या फिर किडनी एसिड को फिल्टर नहीं कर पाए तो यूरिक एसिड बढ़ने से हड्डियों के जोड़ो में तेज दर्द होने लगता है। ब्लड शुगर बढ़ जाता है। किडनी स्टोन से लेकर किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है। लेकिन योग करने वालों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। योग के साथ ही खान-पान में थोड़े बदलाव से आप यूरिक एसिड की परेशानी को खत्म कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि बाबा रामदेव द्वारा बताए गए योगासन यूरिक एसिड को कम करने में कैसे लाभकारी हो सकते हैं।

उत्तानपादासन: इस आसन के योगाभ्यास के जरिये वजन को कम किया जा सकता है साथ ही पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। एसिडिटी में राहत मिलती है। वहीं यह आसन तनाव कम करने में भी मददगार है। 

नौकासन: शरीर को टीबी, निमोनिया से बचाने के लिए यह आसन कारगर है। नौकासन के फेफड़ों तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है। जिससे की शरीर में ऑक्सीजन का स्तर संतुलित रहता है। नियमित अभ्यास से पेट, कमर और पीठ मजबूत बनती है। 

मर्कटासन: प्रतिदिन योगाभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है व पीठ संबंधी दर्द दूर हो जाता है। फेफड़ों के लिए यह अच्छा योगासन माना जाता है। इसके अलावा पेट संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। इस आसन के जरिए भी गैस और कब्ज से राहत मिलती है। मर्कटासन के जरिये एकाग्रता बढ़ती है। यह आसन कमर दर्द में फायदेमंद है। गुर्दे, अग्नाशय और लिवर सक्रिय होते हैं। 

उष्ट्रासन: यह आसन शरीर का पोश्चर सुधारता है। फेफड़े व किडनी को स्वस्थ बनाता है। मोटापा दूर कर पाचन प्रणाली को ठीक करता है। साथ ही कंधों और पीठ को मजबूत बनाता है। 

भुजंगासन: इस आसन से सीना चौड़ा होता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। शरीर को सुंदर और स्लिम बनाता है। मोटापा कम करने में मदद करता है। तनाव, चिंता और डिप्रेशन दूर करता है। फेफड़ों, कंधों और सीने को स्ट्रेच करता है।