यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट, जिसे सीरम यूरिक एसिड माप के रूप में भी जाना जाता है, यह निर्धारित करता है कि आपके ब्लड में कितना यूरिक एसिड मौजूद है। यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरिन नामक केमिकल का संसाधन करता है यानि उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है। जब पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो किडनी स्टोन्स या पथरी बनने लगता है। ऐसे में आपको समय रहते यूरिक एसिड टेस्ट कराने की जरूरत है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि यूरिक एसिड के कारण और लक्षण की जानकारी हो। आइए जानते हैं यूरिक एसिड टेस्ट कब कराना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

यूरिक एसिड कब कराना चाहिए: अगर डॉक्टर आपमें कोई ऐसी स्थिति देखते हैं, जो यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण बन सकती है, तो वे तुरंत यूरिक एसिड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
– पैरों में दर्द
– जोड़ों में दर्द और सूजन
– गांठों में सूजन
– एड़ियों में दर्द महसूस होना
– बार-बार पेशाब आना
– पेशाब करते वक्त जलन महसूस होना
– पीठ या पेट में असहनीय दर्द होना

यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट क्यों कराते हैं? यदि किसी व्यक्ति के शरीर में हाई यूरिक एसिड के लक्षण दिखते हैं, तो यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट के सलाह दी जाती है। इसके अलावा कैंसर के मरीजों को भी इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जाती है। जिस इंसान को बार-बार किडनी में पथरी की समस्या होती है उन्हें भी यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट के दौरान क्या सावधानी बरतें?
– सुई लगने वाली जगह को अल्कोहल से साफ कर लें।
– सुई लगने वाली जगह पर सुई निकालते ही रुई का प्रयोग करें।
– उस जगह को थोड़ा दबा के रखें उसके बाद बैंडेज लगा दें।

यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट के क्या जोखिम हैं?
– खून निकलना
– गलत सुई के इस्तेमाल के कारण इंफेक्शन होने का खतरा रहता है
– सुई लगने वाली जगह पर नीले रंग का निशान पड़ जाना
– सिर घूमना या फिर चक्कर आना

ब्लड में यूरिक एसिड कितना होना चाहिए?
पुरुष: over 6 mg/dL
महिला: over 7 mg/dL