आज समय बदल गया, खानपान बदल गया। आज के मॉर्डन जमाने में टॉयलेट शीट तक बदल गई हैं, कई लोग टॉयलेट जाने के बाद कम से कम 15-20 मिनट और कभी-कभी तो आधे घंटे तक आराम से बैठे रहते हैं। कोई फोन पर स्क्रॉल कर रहा है, कोई न्यूज पेपर पढ़ता है, तो कभी यूं ही बैठे-बैठे ख्यालों में खोए रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आराम का यह पल सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। दरअसल, शरीर की कुछ क्रियाएं एक निश्चित समय और स्वाभाविक रूप से पूरी होने के लिए बनी होती हैं। शौच भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, पेट का सही से साफ होना कई बीमारियों से बचाता है और शरीर में एक्टिव रहता है, लेकिन इस प्रक्रिया में देर हो जाए, तो इसका असर न सिर्फ पेट पर, बल्कि पूरे शरीर पर पड़ता है। ज्यादा लंबे समय तक टॉयलेट में बैठे रहने से पेल्विक एरिया की मांसपेशियों पर दबाव, ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट और कीटाणु, ये सब मिलकर गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं।

दरअसल, एक बार किसी भी चीज की आदत बन जाए तो इसे छोड़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, फिर चाहे इससे सेहत को कितना भी नुकसान होता रहे। टॉयलेट में ज्यादा समय बिताने से न सिर्फ शौच प्रभावित होता है, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। डायटीशियन सोनिया नारंग ने बताया कि ज्यादा देर तक टॉयलेट में बैठने से पेल्विक मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है। इससे बवासीर, कब्ज, मूत्र रिसाव और बैक्टीरिया का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

पेल्विक मांसपेशियों पर दबाव

टॉयलेट सीट पर लंबे समय तक बैठने से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर लगातार दबाव पड़ता है। ये मांसपेशियां मूत्राशय और मलाशय को सही स्थिति में रखने के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब इन पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, तो ये धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। इससे मल त्याग में रुकावट, मूत्राशय का अधूरा खाली होना और मूत्र रिसाव जैसी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

बवासीर का खतरा

टॉयलेट सीट पर लंबे इससे उस जगह खून जमा हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो रक्त वाहिकाएं सूज जाती हैं और बवासीर हो जाती है। शुरुआत में थोड़ी असुविधा होती है, लेकिन बाद में तेज दर्द, रक्तस्राव और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलाशय और गुदा की नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे सूजन और जलन होती है। इससे नसों में सूजन आ जाती है और बवासीर हो जाती है।

पाचन

हमारे शरीर में मल त्याग के लिए प्राकृतिक जैविक संकेत होते हैं। जब हम यह संकेत मिलने के बाद भी मल त्याग किए बिना बैठे रहते हैं, तो यह संकेत धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। इससे मल सख्त हो जाता है, आंतें सूख जाती हैं और कब्ज हो जाता है। लंबे समय तक कब्ज रहने से मलाशय क्षतिग्रस्त हो सकता है और बवासीर हो सकता है।

मूत्र रिसाव

श्रोणि तल की मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण यह मूत्राशय की स्थिति को भी बदल सकता है, जिससे मूत्र मूत्रमार्ग में जमा हो सकता है। जब आप खड़े होते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण शेष मूत्र को बाहर धकेल देता है, जिससे पेशाब के बाद एक छोटा सा रिसाव होता है। इसके अलावा यह पेल्विक तंत्रिकाओं पर दबाव डालता है और मूत्राशय की मूत्र को ठीक से धारण करने की क्षमता को कमजोर कर देता है।

बैक्टीरिया

इससे फोन पर बैक्टीरिया और कीटाणुओं का खतरा बढ़ जाता है। जब आप फोन को पोंछने या फ्लश करने के बाद उसे छूते हैं, तो आप कीटाणुओं को स्थानांतरित करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा फोन गर्मी उत्पन्न करते हैं, जो बैक्टीरिया के विकास के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है।

अगर, आप कब्ज की समस्या से परेशान हैं और इससे राहत पाना चाहते हैं तो योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा बताए गए 3 योगासन करना इस समस्या से बहुत जल्दी राहत दिला सकते हैं।