सुपरटेक ट्विन टावरों को ध्वस्त होने को लेकर डॉक्टरों ने तुरंत बाद में आसपास के लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित होने वाली समस्याओं को लेकर चेतावनी दी है। यह चेतवानी खासकर उन लोगों के लिए है जिनका मौजूदा श्वसन प्रणाली बेहद अच्छी स्थिति में नहीं है। चूंकि 32 मंजिला एक इमारत को गिरने में 9 सेकेंड का समय लगेगा। इसे गिराने के लिए अलग-अलग मंजिलों पर 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया है।

बता दें कि विस्फोट के 9 सेकेंड तक धूल के बादल फैल चुके होंगे। धूल का यह बादल 3 किमी के दायरे में फैलेगा। इससे धूल धीरे-धीरे नीचे आएगी। लेकिन बताया जा रहा है कि आसमान में धुंध साफ होने में कम से कम 3 घंटे का समय लगेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि विध्वंस से साइट के अंदर और आसपास पार्टिकुलेट मैटर पीएम10 में वृद्धि होने की संभावना है। जिससे स्वस्थ लोगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है और सांस की बीमारियों वाले लोगों में लक्षण बढ़ सकते हैं।

ट्विन टावर गिरने से संबंधित प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है?

जनसत्ता डॉट कॉम से बात करते हुए दिल्ली के मूलचंद हॉस्पिटल के पल्मोनरी विभाग के डॉक्टर भगवान मंत्री ने बताया कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण बच्चों और मौजूदा कमजोर श्वसन स्थितियों वाले लोगों के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। अस्थमा, सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों को धूल का स्तर बढ़ने पर सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यह स्वस्थ व्यक्तियों में तीव्र खांसी, घरघराहट और सांस फूलने का कारण भी बन सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि धूल से एलर्जी वाले लोगों को भी बढ़े हुए लक्षणों का अनुभव होने की संभावना है। बच्चे अधिक कमजोर होते हैं क्योंकि उनके फेफड़े विकसित हो रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि खुद को बचाने के लिए लोगों को विध्वंस के बाद कई घंटों तक क्षेत्र से दूर रहना चाहिए और फिर भी अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क या गीले कपड़े से ही मुंह और नाक को ढक कर ही बाहर निकलना चाहिए।

क्या PM10 के स्तर में अचानक वृद्धि से दीर्घकालिक समस्याएं हो सकती हैं?

डॉक्टर भगवान मंत्री ने कहा कि स्वस्थ लोगों को भी अस्थमा जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इस दौरान पहले से इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को सावधान रहना चाहिए साथ ही अपने डोज को पहले से मेन्टेन रखना चाहिए। कुछ रोगी ठीक महसूस होने के बाद दवाई लेना बंद कर देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बातचीत के बाद ही कोई निर्णय लें। साथ ही समय पर अपने चेकअप करवाते रहे।

क्या स्वस्थ लोगों में भी सांस से संबंधित शिकायत हो सकती है ?

डॉक्टर भगवान मंत्री ने बताया कि पार्टिकुलेट मैटर के स्तर में अचानक वृद्धि को हम रिएक्टिव एयरवे डिसफंक्शन कह सकते हैं, एक ऐसी स्थिति जहां एक व्यक्ति को एलर्जी के कारण होने वाले अस्थमा के विपरीत, किसी हानिकारक चीज के संपर्क में आने के बाद अस्थमा जैसे लक्षण मिलते हैं। यह बिल्कुल स्वस्थ लोगों के साथ भी हो सकता है।

क्या धूल के कण कम होने से परेशानियां समाप्त हो सकती है?

उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है। अचानक धूल के संपर्क का प्रभाव लंबे समय तक चलने वाला हो सकता है। यह जीवन भर नहीं होगा लेकिन इसे ठीक होने में समय लगेगा। चूंकि इसका प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है; इसीलिए सभी को इस दौरान अपने मुंह को अच्छी तरह से ढंक कर रखना चाहिए।

इन बातों का रखें खास ख्याल

डॉक्टर के मुताबिक ट्विन टावर्स गिरने के बाद आसपास के लोगों को मास्क जरूर पहनना चाहिए। धूल, सांस लेने और अस्थमा के मरीजों को खास परेशानी हो सकती है। हृदय रोगियों को भी सावधान रहने की जरूरत है। आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा लगाना सही रहेगा। बार-बार पानी पीते रहें, ताकि धूल शरीर के अंदर न चिपके। कोशिश करें कि इस क्षेत्र में 3 दिनों तक न जाएं। बता दें कि इस इमारत के गिरने के बाद 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा, जिसे साफ करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे।