single test can detect multiple early cancerकैंसर का नाम सुनते ही लोगों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। आज भी कैंसर का फुलप्रूव इलाज नहीं है लेकिन सही समय पर कैंसर की पहचान कर ली जाए तो अधिकांश मामलों में मरीज को बचाया जा सकता है। लेकिन दिक्कत यह है कि कैंसर के कोई लक्षण शुरुआती दौर में दिखाई ही नहीं देते। इस बीमारी का कारण बहुत लास्ट स्टेज में लोगों को पता चलता है कि उसे कैंसर है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने सिंपल ब्लड टेस्ट से करीब 50 तरह के कैंसर का पता लगाने का दावा किया है। इसका ट्रायल चल रहा है। लगभग एक लाख लोगों पर इसका ट्रायल हो रहा है। अगर यह ट्रायल सफल हो गया तो कैंसर से लड़ने के लिए यह क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

लाखों लोगों की बचेगी जिंदगी:

इस टेस्ट को मल्टीकैंसर अर्ली डिटेक्टशन टेस्ट (MCED) कहा गया है। इसी साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एमसीईडी को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि कैंसर को खत्म करने के लिए यह क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। इस टेस्ट को कैलिफोर्निया की ग्रेल कंपनी ने तैयार किया है। ग्रेल का कहना है कि ये टेस्ट 50 से भी ज्यादा अलग-अलग तरह के कैंसर को डिटेक्ट कर सकता है।

अगर कैंसर का पता अर्ली स्टेज में चल जाए तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है। क्योंकि वर्तमान में अर्ली स्टेज में कैंसर की पहचान होती ही नहीं है। दुनिया भर में कैंसर से करीब 95 लाख लोगों की मौत होती है। कंपनी का कहना है कि यह ट्रायल करीब दो साल तक चलेगा उसके बाद संभावना है कि इस टेस्ट को बाजार में उतार दिया जाएगा।

कैसे काम करता है यह टेस्ट:

दरअसल, जब किसी भी तरह की कोशिकाएं मरती हैं तो उसका डीएनए खून में छोड़ दिया जाता है और वह तैरते रहता है। जब किसी कोशिका पर कैंसर कोशिकाएं धावा बोलेगी तो वह कोशिका ट्यूमर कोशिका में बदल जाएगी। ट्यूमर कोशिका में भी डीएनए होगा लेकिन यह अलग तरह का डीएनए होगा। जब ट्यूमर कोशिकाओं का डीएनए खून में तैरने लगेगा तो एमसीईडी खून के प्रवाह में से इसी ट्यूमर वाले डीएनए को पहचान लेगा। बिना कोशिका वाला यह डीएनए इस बात की सूचना देगा कि वह किस प्रकार के टिशू से आया है और क्या यह नॉर्मल डीएनए है या कैंसर वाला डीएनए है।