काम जीवन का अभिन्न हिस्सा है, तो इससे बचना न तो उचित है, न संभव। मगर काम करते हुए अगर हम अपनी सेहत की अनदेखी करते हैं तो इसका सीधा असर यही होता है कि हमारी सेहत बिगड़ती है और काम बाधित होता है। यों तो यह हर स्तर पर होता है, मगर काम की जगहों और स्वरूप में कई बार हमारे बैठने और काम करने के तरीके की वजह से हमारे शरीर के कुछ हिस्सों में असहजता पैदा होने लगती है।

शुरुआती दौर में इसे नजरअंदाज करने का नतीजा यह होता है कि आगे चलकर वह जटिल रुख अख्तियार कर लेता है। इसका एक उदाहरण है फ्रोजन शोल्जर यानी कंधे की अकड़न, जिसमें बांहों और कंधों में दर्द की वजह से न केवल दफ्तरी कामकाज, बल्कि रोजमर्रा के काम भी बाधित होने लगते हैं। इसलिए कमर या कंधे के दर्द को हल्के में लेने के बजाय या तो उसके शुरू होते ही ठीक करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए या फिर इससे भी बेहतर यह है कि ऐसा हो ही नहीं, इसका ध्यान रखना चाहिए।

लापरवाही का दर्द

गर्दन और हाथ को जोड़ने वाले हिस्से के तौर पर कंधा हमारे लिए एक सबसे उपयोगी अंग है। मगर इसके उपयोग की अधिकता के दौरान इसकी मुद्रा में लोच का खयाल रखने की वजह से इसमें कई बार अकड़न आने लगती है। यह अकड़न बाद में दर्द में तब्दील हो जाती है और फिर सारे काम बुरी तरह बाधित होने लगते हैं।

इस स्थिति को फ्रोजन शोल्जर या कंधे की अकड़न के रूप में जाना जाता है और इसकी अनदेखी गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है। यह आमतौर पर वैसे लोगों को ज्यादा होता है जो अपने कंधे और हाथ की गतिविधियों में स्थिरता और संचालन की स्थितियों पर गौर नहीं करते और कंधे के जाम होने को लेकर लापरवाही बरतते हैं। मसलन, एक मुद्रा में देर तक बैठना, हाथ न हिला पाना या फिर व्यायाम आदि न करना। इसके अलावा, मधुमेह, अनियंत्रित थायरायड आदि की स्थितियों में भी यह दर्द हावी हो जाती है।

इलाज की राह

कंधे की अकड़न का सबसे पहला इलाज तो कंधे के हिस्से के आसपास को केंद्र में रख कर व्यायाम करना है। हाथों को घुमाना, दीवार का सहारा लेकर हाथों और कंधों का व्यायाम करना आदि कई उपाय हैं। अगर अपने स्तर पर कठिनाई आ रही हो तो किसी अच्छे फिजियोथेरापिस्ट या हड्डियों के चिकित्सक की मदद ली जा सकती है। हालांकि ‘स्ट्रेचिंग’ जैसे कुछ चुने हुए व्यायाम अगर घर में ही किए जाएं, तो इसके दर्द में आराम मिल सकता है। जरूरत पड़ने पर चिकित्सक की सलाह पर दवाइयां भी ली जा सकती हैं।

सलाह के साथ

कंधे जाम होने या हाथ सही से काम न करने का कारण अगर चोट लगना है, तो इसके लिए ‘कोल्ड थेरेपी’ की सलाह भी दी जाती है। जबकि अगर दर्द की अवधि लंबी रही है तो ‘हीट थेरापी’ कराने की सलाह दी जाती है। हालांकि दर्द के स्तर और प्रकार के मुताबिक उचित सलाह चिकित्सक ही दे सकता है कि इस दर्द से परेशान व्यक्ति को कैसी थेरापी लेना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि दर्द बेलगाम नहीं हो, अन्यथा चिकित्सक कोर्टिकोस्टेरायड इंजेक्शन लगाने की भी राय दे सकते हैं। इससे दर्द में काफी राहत मिलती है। इसी तरह, कुछ अन्य तरीके और शल्य चिकित्सा तक का सहारा लिया जा सकता है।

यह ध्यान रखने की जरूरत है कि फ्रोजन शोल्डर का दर्द लंबी अनदेखी का नतीजा होता है, उसी तरह इसके जाने में भी वक्त लगता है। शुरुआत में अगर ध्यान दिया जाए तो सही कदम उठा कर जीवनशैली में बदलाव के सहारे इसे ठीक किया जा सकता है।