आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान से लेकर लाइफस्टाइल पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है, जिसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ गई है। हाल ही में सोशल मीडिया और कई हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच सीड ऑयल्स को लेकर काफी विवाद देखने को मिला है। कुछ लोगों का मानना है कि ये तेल शरीर में सूजन बढ़ाते हैं और मोटापा, हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, अमेरिका के हेल्थ सेक्रेटरी रॉबर्ट एफ. केनेडी जूनियर ने इन्हें जहर तक कहा और लोगों को पारंपरिक फैट जैसे मक्खन और लार्ड पर लौटने की सलाह दी।

पोषण विशेषज्ञ और डायबिटीज एजुकेटर डॉ. अर्चना बत्रा ने बताया कि क्या वाकई सीड ऑयल्स इतने हानिकारक हैं या फिर यह सिर्फ एक मिथक है। चलिए आपको बताते हैं सीड ऑयल्स को लेकर फैली अफवाहें पूरी तरह सही है या नहीं।

क्या है सीड ऑयल्स

सीड ऑयल्स यानी ऐसे पौधों से निकाले गए तेल, जो उनके बीजों से तैयार होते हैं। सूरजमुखी तेल, कैनोला तेल, सफ्लॉवर तेल, कॉटन सीड ऑयल, ग्रेप सीड ऑयल आदि। इनके साथ ही सोया और कॉर्न ऑयल को भी इसी कैटेगरी में रखा जाता है। ये तेल पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स (PUFAs) से भरपूर होते हैं और आमतौर पर कुकिंग व प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री में खूब इस्तेमाल किए जाते हैं।

क्या सूजन बढ़ाते हैं सीड ऑयल्स

सबसे बड़ी आलोचना यही है कि सीड ऑयल्स में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड्स शरीर में सूजन बढ़ाते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। ओमेगा-6 फैटी एसिड्स जैसे लिनोलिक एसिड शरीर के लिए जरूरी हैं, क्योंकि इन्हें शरीर खुद नहीं बना पाता। एक रिसर्च Nutrients जर्नल के अनुसार, ओमेगा-6 का सेवन हार्ट डिजीज का खतरा कम कर सकता है।

डॉ. बत्रा के मुताबिक, असल समस्या बैलेंस की है। आदर्श अनुपात ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का 1:1 से 4:1 होना चाहिए, लेकिन वेस्टर्न डाइट में यह अनुपात 17:1 तक पहुंच जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ सकता है। इसका मतलब है कि ओमेगा-6 हानिकारक नहीं, बल्कि हमें अपने डाइट में ओमेगा-3 यानी फैटी फिश, अखरोट, चिया सीड्स बढ़ाने की जरूरत है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में भी इसका जिक्र है।

लिनोलिक एसिड

सीड ऑयल्स में मुख्य रूप से लिनोलिक एसिड पाया जाता है। यह शरीर में अराकिडोनिक एसिड में बदल सकता है, जो सूजन से जुड़ा है। लेकिन रिसर्च बताती है कि शरीर में लिनोलिक एसिड का केवल छोटा हिस्सा ही अराकिडोनिक एसिड में बदलता है। 2019 की एक स्टडी (Nutrients) के मुताबिक, लिनोलिक एसिड का संतुलित सेवन हार्ट डिजीज का खतरा घटा सकता है। ऐसे में सीड ऑयल्स को पूरी तरह छोड़ने की जरूरत नहीं, बल्कि संतुलन और सही तरीके से लेने की जरूरी है।

प्रोसेस्ड फूड्स में ओवरयूज की समस्या

सीड ऑयल्स अपने आप में हानिकारक नहीं, बल्कि दिक्कत तब होती है जब इन्हें अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में इस्तेमाल किया जाता है। चिप्स, पैकेज्ड स्नैक्स, पेस्ट्री और फ्राइड फूड्स में सीड ऑयल्स बड़ी मात्रा में होते हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, अमेरिका में 60% डाइट अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से आती है। ऐसे में खतरा सीड ऑयल्स से नहीं, बल्कि प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा सेवन से है।

बार-बार गर्म करना हो सकता है नुकसानदायक

रेस्टोरेंट्स और स्ट्रीट फूड्स में सीड ऑयल्स को बार-बार डीप फ्राई के लिए गर्म किया जाता है। इससे ट्रांस फैट्स और हानिकारक कंपाउंड्स (जैसे एल्डिहाइड्स) बनते हैं। डॉ. बत्रा के अनुसार, घर पर अगर इन्हें एक बार मध्यम तापमान पर इस्तेमाल किया जाए तो यह सुरक्षित हैं। बस इन्हें बार-बार री हीट न करें।

इसके अलावा सुबह उठते ही कुछ लक्षण दिखाई देने पर भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक हो जाती है, इन साइन को भी इग्नोर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।