कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है। देखा जा रहा है कि बहुत से लोग जिन्हें COVID-19 हुआ है, उनमें मधुमेह हो गया है। अब सवाल ये है कि क्या जिन लोगों को COVID हुआ है, उनमें मधुमेह विकसित होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक है जिन्हें नहीं हुआ है। और यदि हां, तो क्या COVID मधुमेह का कारण बन रहा है, या कुछ वजह है?
18 वर्ष से कम के लोगों को हो रहा मधुमेह: हालिया अध्ययनों में पता चला है कि कोरोना संक्रमण होने और मधुमेह के बीच एक संबंध है। यूएस में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि 18 वर्ष से कम आयु के 5,00,000 से अधिक लोगों को जिन्हें कोवि़ड हुआ था, उनमें जिन्हें कोविड नहीं हुआ के मुकाबले डायबिटीज होने का खतरा अधिक था। हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस प्रकार के लोगों में डायबिटीज का खतरा बड़ा है।दूसरे अध्ययन में पता चला कि बूढ़े लोगों में भी इसी तरह का पैटर्न देखा गया है। इस आयु वर्ग में ज्यादातर लोगों में टाइप टू डायबिटीज पाया गया।
जर्मन स्टडी में भी सामने आया ये कारण: मेडिकल रिकॉर्ड पर आधारित जर्मन स्टडी में भी ये पाया गया कि आठ मिलियन से अधिक रोगियों को जिन्हें कोरोना हुआ था, उनमें बाद में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक थी।
डायबिटीज के होते हैं कई प्रकार: डायबिटीज कई प्रकार की होती है। सभी के कारण हार्मोन इंसुलिन के उत्पादन या प्रतिक्रिया करने के लिए शरीर की क्षमता कम हो जाती है। इंसुलिन हमारे खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है। अगर हमारे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन ठीक से नहीं होता तो ग्लूकोज बढ़ जाता है और हम डायबिटीज के शिकार होने लगते हैं।
ज्यादातर लोगों को होती है टाइप 2 डायबिटीज: ज्यादातर लोगों में टाइप टू डायबिटीज पाई जाती है। इसे ऑटोइम्यून बीमारी माना जाता है। ये ज्यादातर 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को होती। इसमें शरीर में इंसुलिन बनता तो है, लेकिन ठीक से काम नहीं करता।
टाइप 1 में नहीं बन पाता इंसुलिन: टाइप टू डायबिटीज कम ही लोगों को होती है। टाइप 1 डायबिटीज अक्सर बचपन या किशोरावस्था में होती है। ऐसे में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। टाइप टू के मरीजों को जीवनभर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।
कोविड से कैसे हो सकती है डायबिटीज? COVID कैसे डायबिटीज का कारण हो सकता है, इसके बारे में कई थ्योरी हैं, लेकिन कोई भी सिद्ध नहीं हो पाई है। एक संभावना ये है कि वायरस के कारण होने वाली सूजन से इंसुलिन बनना बंद हो सकता है, जिसके कारण शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ सकती है।
शरीर में मौजूद ये प्रोटीन हो सकता है कारण: ये दूसरी संभावना ACE2 से संबंधित है। ये एक प्रोटीन है जो कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। जिसे SARS-CoV-2 (वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है) से जोड़ा जाता है।
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोरोना वायरस ACE2 के माध्यम से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है और उन्हें संक्रमित कर सकता है। जिससे कोशिकाएं मर सकती हैं या उनके काम करने का तरीका बदल सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि लोग पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हैं, जिससे उन्हें डायबिटीज हो रही है।