हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया। यहां एक 14 साल के मासूम की कुत्ते के काटने से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, बच्चे को करीब 2 महीने पहले कुत्ते ने काटा था। हालांकि, डांट पड़ने के डर से मासूम ने इस बात की जानकारी किसी को नहीं दी जिसके बाद बीते 1 सितंबर को अचानक उसकी तबीयत अधिक बिगड़ गई। माता-पिता को भी अपने बेटे की हरकतें कुछ अजीब लगीं, वे जांच करने डॉक्टर के पास गए जहां डॉक्टर ने उन्हें जब रेबीज के बारे में बताया तब जाकर बच्चे ने इस बात को स्वीकारा।
इसके बाद और अधिक देरी किए बिना परिजन मासूम को AIIMS दिल्ली लेकर पहुंचे, लेकिन यहां इलाज नहीं हो सका, साथ ही और भी कई बड़े अस्पतालों ने 14 साल के मासूम को लाइलाज घोषित कर दिया। ऐसे में सही समय पर इलाज न मिलने के कारण बच्चे ने तड़प-तड़प कर अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। इससे जुड़ा रूह कपा देने वाला एक वीडियो भी इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है, जिसे देख एक ओर जहां लोगों की आंखों में आंसू हैं, तो वहीं दूसरी ओर मन में रेबीज को लेकर डर और कई सवाल भी हैं।
आंकड़े बताते हैं कि कुत्ते के काटने और रेबीज होने से हर साल करीब 20 हजार लोगों की मौत होती है। वहीं, अधिक परेशान कर देने वाली बात यह है कि मृतकों में 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में इस जानलेवा बीमारी के बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है। इसी कड़ी में यहां हम आपको रेबीज से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं।
क्या है रेबीज?
रेबीज एक वायरस है जो संक्रमित जानवर की लार में रहता है। वहीं, जब ये जानवर इंसान को काट लेता है, तो विषाणु लार के जरिए इंसान के ब्लड में चला जाता है। मेडिकल साइंस करीब 4,500 साल से आज तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया है। यानी इंसानी शरीर में एक बार रेबीज का वायरस एक्टिव हो जाए, तो उसे बचाना बेहद मुश्किल या नामुमकिन है।
क्या केवल कुत्ते के काटने पर ही होता है रेबीज?
रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़ के काटने से भी फैल सकता है। हालांकि, 95 फीसदी से ज्यादा मामले कुत्ते के काटने से ही सामने आते हैं।
कुत्ते या अन्य जानवर के काटने पर सबसे पहले क्या करें?
कुत्ते के काटने, दांत से छूने या नाखून से खरोंज मारने पर भी सबसे पहले घाव को साफ पानी से धो लें और साबुन या सेवलॉन की मदद से उस जगह को साफ कर खुला ही रहने दें। इसके बाद आपको बिना अधिक देरी किए तुरंत डॉक्टर के पास जाकर टीका लगवाना है।
कितने समय के अंदर लगवाना है टीका?
वैसे तो हेल्थ एक्सपर्ट्स कुत्ते के काटने के तुरंत बाद टीका लगवाने की सलाह देते हैं। हालांकि, किसी कारणवश अगर आप चूक जाते हैं तो 24 घंटे के अंदर इंजेक्शन जरूर लगवा लें। ध्यान रहे आपको नियमित समय के गैप में 5 इंजेक्शन लगवाने हैं। पहला 24 घंटे के अंदर, दूसरा कुत्ते के काटने के तीसरे दिन, तीसरा हफ्ते के आखिरी दिन यानी सातवें दिन, चौथा 14वें दिन और आखिरी 28वें दिन। 3, 7, 14, 28 के क्रम को याद रखें।
क्या हैं लक्षण?
बात अगर लक्षणों की करें, तो बता दें कि रेबीज के लक्षण एक से दो हफ्ते के अंदर, कुछ महीनों में या सालों बाद भी देखने को मिल सकते हैं।
- इससे पीड़ित शख्स को गले में घुटन महसूस होती है, जिसके चलते सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
- बेवजह आंख से आंसू और नाक और मुंह से लार आने लगती है, जिसे पीड़ित चाहकर भी कंट्रोल नहीं कर पाता है।
- पीड़ित को पानी से डर लगने लगता है, जिसे हाइड्रोफोबिया कहा जाता है।
- रोगी को रौशनी से डर लगता है और वो अंधेरे में रहना पसंद करता है।
- इसके अलावा इस गंभीर बीमारी के लक्षण में पूरे शरीर में तेज दर्द और अकड़न महसूस होना, हर वक्त कमजोरी और थकान रहना, बार-बार बुखार आना, चिड़चिड़ापन होना, लकवा मार देना, तेज अवाज सहन ना कर पाना, बोलने में तकलीफ महसूस होना आदि शामिल हैं।
इस बात का रखें खास ध्यान
अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में कुत्ते के काटने पर घाव पर लाल मिर्च, गोबर, कॉफी पाउडर आदि चीजें लगाने की सलाह देते हैं। बता दें कि ऐसा करना जानलेवा साबित हो सकता है। इसके अलावा घाव को सेंकने से भी बचें, ये भी परेशानी को और बढ़ाने का काम करता है। इन सब से अलग जिस जानवर ने काटा है, उस पर करीब 10 दिन तक नजर रखें। अगर वह बीमार दिखे या कुछ दिनों में ही मर जाए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। साथ ही खुद में नजर आने वाले बदलावों की सही और सटीक जानकारी डॉक्टर को दें। केवल तभी आप समस्या को अधिक बढ़ने से रोक सकते हैं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।