प्रेग्नेंसी के दौरान खानपान से साथ लाइफस्टाइल का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है, क्योंकि किसी भी तरह की चूक बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाओं का सेवन न केवल मां की सेहत पर असर डालता है, बल्कि यह बच्चे के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। एक रिसर्च के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान सुरक्षित माने जाने वाली पेरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) का  सेवन जन्म के बाद बच्चे में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) का खतरा बढ़ सकता है।

दरअसल, आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित हो जाती हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित दर्द निवारक दवा पेरासिटामोल को माना जाता था, लेकिन रिसर्च में इस पर अलग ही रिजल्ट सामने आया है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल के इस्तेमाल कर एक शोध किया है। शोधकर्ताओं ने 2006 और 2011 के बीच 307 गर्भवती महिलाओं के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि एसिटामिनोफेन का उपयोग करने वाली माताओं से पैदा हुए बच्चों में ADHD का खतरा 18% अधिक था।

क्या कहती है स्टडी?

न्यूयॉर्क पोस्ट से बात करते हुए, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की शिशु रोग विशेषज्ञ शीला सत्यनारायण ने बताया कि यह दवा दशकों पहले मंजूर की गई थी, लेकिन इसके दीर्घकालिक न्यूरोडेवलपमेंटल प्रभावों का कभी ठीक से मूल्यांकन नहीं किया गया। शोध से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से शिशु में ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में पेरासिटामोल को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है। इसके अलावा अध्ययन में यह भी पता चला कि इन माताओं से जन्म लेने वाली बेटियों में बेटों की तुलना में इस विकार के विकसित होने का जोखिम अधिक था। आम दर्द निवारक दवाओं का असर लड़कों की तुलना में लड़कियों पर छह गुना अधिक था।

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क्या है ADHD डिसऑर्डर?

एडीएचडी (ADHD) या अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। जिसमें बच्चे को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, अत्यधिक सक्रियता (Hyperactivity), और आवेगशील (Impulsive) व्यवहार की समस्या हो सकती है। ADHD की समस्या का अगर ध्यान नहीं दिया जाता है तो ये बच्चे को बड़े होने के बाद भी परेशान कर सकती है।

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