पैनिक अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अचानक भय और घबराहट महसूस होती है, जिसके साथ शारीरिक लक्षण भी होते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि पैनिक अटैक का मतलब यह नहीं कि आप पागल हो गए हैं। यह स्थिति किसी स्पष्ट खतरे के बिना भी हो सकती है और कुछ मिनटों में चरम पर पहुंच जाती है। जैसे सांस लेने में तकलीफ, दिल की धड़कन तेज होना और चक्कर आना आदि।
दरअसल, पैनिक अटैक एक पूरी तरह से शारीरिक हमला है। एक पल आप ठीक हैं। अगले ही पल आपका दिल जोर-जोर से धड़क रहा है। आपकी छाती अकड़ रही है। आपकी सांस फूल रही है। आपकी हथेलियां पसीने से तर हैं और इसी तरह ऐसा लगने लगता है मानो दुनिया सिमट रही है। एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज ने पैनिक अटैक के कारण, लक्षण और बचाव बताए हैं।
पैनिक अटैक क्या है?
डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज के मुताबिक, पैनिक अटैक में अचानक से घबराहट, तनाव, चिंता, पसीना आने और डर महसूस होने लगता है, कई बार इस दौरान व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी और दर्द जैसी समस्याएं भी होती हैं। यह आपके शरीर की लड़ो या भागो वाली प्रतिक्रिया है जो बेकाबू हो जाती है और ऐसा लगता है जैसे कोई खतरा है, जबकि ऐसा है ही नहीं। पैनिक अटैक कभी भी और कहीं भी आ सकता है। यह कुछ मिनटों से लेकर आधे घंटे तक चल सकता है।
पैनिक अटैक के लक्षण
- तेज दिल की धड़कन
- सांस लेने में कठिनाई
- सीने में दर्द या दबाव
- चक्कर आना या हल्का सिरदर्द
- हाथों या चेहरे में सुन्नता या झुनझुनी
- कंट्रोल खोना या मरने का डर
दरअसल, पैनिक अटैक कभी भी अचानक नहीं आते। ये अक्सर दिनों हफ्तों या सालों तक जमा हुए पुराने, अनसुलझे तनाव के बाद का आखिरी विस्फोट होते हैं। आपको लग सकता है कि आप मैनेज कर रहे हैं। आप समय-सीमाओं को पूरा करने में लगे रहते हैं। आप समाचारों को स्क्रॉल करते हैं, रीलों के माध्यम से डूम स्क्रॉल करते हैं। आप मीटिंग में मुस्कुराते हुए अंदर ही अंदर डूबे रहते हैं, लेकिन आपका तंत्रिका तंत्र हिसाब रखता है। तनाव धीरे-धीरे जलने वाली चीज है। घबराहट तब होती है जब आग बर्तन से बाहर निकलती है।
पैनिक अटैक से बचाव
पैनिक अटैक की समस्या होने पर सांस लेने में परेशानी होना आम समस्या है। पैनिक अटैक की स्थिति में राहत के लिए गहरी सांस लें यानी डीप ब्रिदिंग एक्सरसाइज करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। ऐसा करने से शरीर और ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है, जिससे दिमाग को रिलैक्स करने में मदद मिलती है।
4-7-8 श्वास
4 सेकंड तक सांस लें, 7 सेकंड तक रोकें, 8 सेकंड तक सांस छोड़ें। इससे हार्ट गति धीमी हो जाती है और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाता है।
ठंडे पानी का झटका
अपने चेहरे पर बर्फ के छींटे मारें या बर्फ का एक टुकड़ा पकड़ें। यह शरीर को वर्तमान में वापस लाता है और मस्तिष्क के संकेतों को भय से संवेदना की ओर मोड़ देता है।
पैदल चलें
कमरे में टहलने से भी मदद मिलती है। गतिविधि से एड्रेनालाईन का लेवल कम होता है और शरीर को स्थिर अवस्था से बाहर निकाला जा सकता है।
वहीं, द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि रोजाना सिर्फ 7,000 कदम चलना भी स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए काफी हो सकता है।