अच्छे दांत और ताजगी भरी सांस के लिए हम हर दिन टूथपेस्ट से ब्रश करते हैं। टूथपेस्ट से दांत साफ करना हमेशा से मुंह की स्वच्छता का आधार माना जाता रहा है, जो हमें कैविटी, सड़न और मसूड़ों की समस्याओं से बचाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टूथपेस्ट का इस्तेमाल ओरल हेल्थ के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। दरअसल, नए शोध इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या टूथपेस्ट मौखिक माइक्रोबायोम को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जिसकी रक्षा करने के लिए इसे बनाया गया है। अब वैज्ञानिकों का मानना है कि टूथपेस्ट में मौजूद कुछ जीवाणुरोधी तत्व लाभकारी बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे यह नाज़ुक संतुलन बिगड़ सकता है।

आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज के नियाम कॉफी, अल्बर्ट लेउंग और इसाबेल ओलेगैरियो द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार , टूथपेस्ट का ओरल माइक्रोबायोम यानी मुंह के अंदर रहने वाले बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकता है। यह माइक्रोबायोम न केवल दंत, बल्कि पाचन, मसूड़ों की सुरक्षा और पूरे शरीर की इम्यूनिटी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

क्या है मौखिक माइक्रोबायोम

दरअसल, मौखिक माइक्रोबायोम मुंह में रहने वाले विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया, कवक का एक समुदाय है जो जीभ, दांत, मसूड़े और अन्य मौखिक सतहों पर पाए जाते हैं। ये pH लेवल को कंट्रोल करते हैं, भोजन को पचाने में मदद करते हैं और प्राकृतिक रोगाणुरोधी यौगिक भी उत्पन्न करते हैं, जो हानिकारक रोगाणुओं को कंट्रोल में रखते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, खानपान, मुंह की खराब सफाई, दवाओं और टूथपेस्ट में मौजूद जीवाणुरोधी तत्वों के कारण, तो इससे दांतों की सड़न, मसूड़ों की बीमारी और अन्य मौखिक संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। कई शोधों में पाया गया है कि ज्यादा स्ट्रॉन्ग और केमिकल-युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से ओरल माइक्रोबायोम का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे मुंह सूखने लगता है, बदबू की समस्या बनी रहती है और यहां तक कि कुछ मामलों में हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी कनेक्शन पाया गया है।

टूथपेस्ट को बायोफिल्म को तोड़कर हमारी रक्षा करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो एक चिपचिपी परत है जहां हानिकारक बैक्टीरिया पनपते हैं। ज्यादातर टूथपेस्ट में फ्लोराइड होता है, जो एक प्रमुख घटक है। ये इनेमल को मजबूत बनाता है और कैविटी के खतरे को कम करता है। फ्लोराइड विशेष रूप से एसिड पैदा करने वाले बैक्टीरिया, जैसे स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंस, जो दांतों की सड़न को रोकने में प्रभावी है।

अध्ययन में टूथपेस्ट का पूरी तरह से इस्तेमाल बंद करने की सलाह नहीं दी गई है, बल्कि इसे ज्यादा सोच-समझकर और नियमित रूप से इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। शोधकर्ता दिन में दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करने और फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश से दांतों के बीच की सफाई करने की सलाह देते हैं। ये तरीके मुंह के अंदर बैक्टीरिया के भार को कम करते हैं और साथ ही स्वस्थ मौखिक स्वच्छता की आदतों को भी बढ़ावा देते हैं।

वहीं, NCBI में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लिवर को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ए और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में जरूर होनी चाहिए।