ओमिक्रॉन वेरिएंट दुनिया भर में कहर मचा रहा है, (WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस समय यह वेरिएंट 110 देशों में फैल चुका है। ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या दुनियाभर में बढ़ती जा रही है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि इस बीमारी को हल्के में नहीं लें।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर जरूर है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसे हल्के में लेना चाहिए। भले अभी यह लग रहा है कि वैक्सीन भी ओमिक्रॉन के लिए बेअसर है, इसके बावजूद हमें वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने यह भी बताया कि ओमिक्रॉन के लक्षण संक्रमण के कितने दिनों बाद दिखते हैं।
कितने दिनों बाद दिखते हैं ओमिक्रॉन के लक्षण: माना जा रहा है कि डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है, हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान अभी मरीज के जीनोम सीक्वेंसिंग से हो रही है। ओमिक्रॉन के टेस्ट के लिए कुछ किट भी आ गई हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा है कि ओमिक्रोन वेरिएंट बेहद खतरनाक है, इसके लक्षण 3 से 5 दिनों में दिखने लगते हैं। पहले के वेरिएंट से संक्रमित व्यक्ति में इसके लक्षण 2 दिनों से लेकर दो सप्ताह तक में दिखते हैं। ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी ने भी कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट बहुत कम समय में अपनी चपेट में ले रहा है।
ओमिक्रॉन सामान्य सर्दी नहीं: डब्ल्यूएचओ में मुख्य साइंसटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने भी चेतावनी दी है कि ओमिक्रॉन को हल्के में नहीं लें। सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि ओमिक्रॉन सामान्य सर्दी-जुकाम नहीं है। दुनिया भर में इससे संक्रमित लोग अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। अगर समय रहते इस पर सतर्कता नहीं बरती गई है तो यह दुनिया के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन दुनिया के स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमरा भी सकता है इसलिए इससे सतर्क रहने की जरूरत है।
इम्यूनिटी स्ट्रान्ग कर ओमिक्रॉन से दूर रहे: ओमिक्रॉन से बचने के लिए इम्युनिटी का बूस्ट होना बेहद जरूरी है। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उनमें ओमिक्रॉन के संक्रमण का जोखिम बहुत ज्यादा रहता है। इसके लिए जरूरी है कि इम्युनिटी को मजबूत किया जाए।
आयुष मंत्रालय के मुताबिक काढ़ा इम्युनिटी को मजबूत करने में बेहद फायदेमंद है। आयुष मंत्रालय ने तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सूखी अदरक, मुनक्का, गुड़ और लेमन का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीने की सलाह दी है। इसके अलावा खाने में हल्दी, धनिया, जीरा, लहसुन खाने की सलाह भी दी है।