क्या कभी एक जगह कुछ देर तक लेटे या बैठे रहने पर आपके हाथ-पैर भी सुन्न हो जाते हैं? इस दौरान लाख कोशिशों के बाद भी आपको सुन्न पड़ चुके अंगों में कोई अहसास नहीं होता है। इतना ही नहीं, कई बार तो परेशानी इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पाता है। बता दें कि वैसे तो कई बार ब्लड फ्लो कम होने के चलते कुछ मिनटों के लिए ऐसा होना आम बात है, लेकिन अगर आप लगातार इस तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो ये कई गंभीर बीमारियों की ओर संकेत भी हो सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से-

इन बीमारियों का हो सकता है संकेत

डायबिटीज

जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है, कभी-कभार हाथ-पैर का सुन्न हो जाना एक सामान्य बात है, लेकिन अगर बार-बार ऐसा हो रहा है, तो ये मधुमेह यानी डायबिटीज की ओर इशारा हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बार-बार हाथ-पैर के सुन्न होने के तकरीबन 33 फीसद मामलों में डायबिटीज अहम वजह होती है। दरअसल, डायबिटीज से पीड़ित लोगों में एक तरह की नर्व डैमेज हो जाती है, जिसके चलते पीड़ित को पैरों में दर्द और बार-बार उनका सुन्न हो जाना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह की स्थिति को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। ऐसे में अगर आपको भी लगातार हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या हो रही है, तो बिना और देरी किए एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

किडनी फेल्योर

डायबिटीज से अलग बार-बार ऐसा होना इस ओर भी इशारा करता है कि आपकी किडनी सही ढंग से काम नहीं कर रही है। दरअसल, किडनी बॉडी से वेस्ट को फिल्टर कर यूरिन के रास्ते बाहर निकालने का काम करती है। ऐसे में ये शरीर के बेहद जरूरी अंगों में से एक है। हालांकि, इस जरूरी अंग में खराबी होने पर खून में वेस्ट चीजें बढ़ने लगती हैं, जिसकी वजह से मसल्स और नर्व डैमेज हो जाती हैं। इसी कड़ी में पैरों में झुनझुनी या सुन्न होने की दिक्कत अधिक बढ़ जाती है।

पैरिफेरल धमनी रोग

पैरिफेरल धमनी रोग जिसे पीएडी के नाम से भी जाना जाता है, ये समस्या पैर, हाथ और पेट में ब्लड आर्टरीज के सिकुड़ने के कारण होती है। इस तरह की स्थिति में बॉडी में खून की कमी होने लगती है, ऐसे में ब्लड फ्लो भी कम हो जाता है जिससे हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं।

रूमेटाइड अर्थराइटिस

रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या भी हाथों और पैरों के सुन्न होने का कारण बन सकती है। ये एक ऑटोइम्यून विकार है, जिसके चलते पीड़ित को जोड़ों में तेज दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है। इस विकार में होने वाली सूजन के कारण नसों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे हाथ और पैरों में झुनझुनी या उनके सुन्न होने की समस्या होती है। इस तरह की स्थिति में भी बिना अधिक देरी किए डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।

टार्सल टनल सिंड्रोम

इन सब के अलावा ऐसा टार्सल टनल सिंड्रोम के चलते भी हो सकता है। टार्सल टनल सिंड्रोम तब होता है, जब पैर के पीछे से टखने के अंदर जाने वाली नस सिकुड़ जाती है। टार्सल टनल, टखने के अंदर की तरफ एक संकरी जगह होती है। वहीं, नस में दवाब आने पर पीड़ित को टखनों, एड़ी और पैर में बार-बार सुन्नता से जूझना पड़ता है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।