मुंबई, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बाद अब दिल्ली–एनसीआर में भी मंप्स (Mumps) के मामले दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं, बीते कुछ समय में इन मामलों में वृद्धि भी देखने को मिली है। बता दें कि मंप्स को ‘गलसुआ’ (Galsua) या ‘कंठमाला’ भी कहा जाता है। ये एक संक्रमक बीमारी है, जो मंप्स वायरस के कारण होती है। वहीं, मंप्स पैरामाइक्सोवायरस (Paramyxoviruses) नामक वायरस के ग्रुप से संबंधित है।

ये मुख्य रूप से लार ग्रंथियों (Salivary glands) को प्रभावित करता है, जिन्हें पैरोटिड ग्रंथियां भी कहा जाता है। वहीं, इस इंफेक्शन की चपेट में आने से व्यक्ति के कान के नीचे मौजूद इन ग्रंथियों में सूजन आ जाती है, जिससे पीड़ित का गाल फूला हुआ और जबड़ा सूजा हुआ नजर आने लगता है। बता दें कि ये बीमारी अत्यधिक संक्रामक है, जो खांसने या छींकने से भी फैल सकती है।

बच्चों में इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बच्चों में मंप्स के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगना शामिल हैं। इससे अलग मंप्स वायरस की चपेट में आने पर लार ग्रंथियों में धीरे-धीरे सूजन बढ़ने लगती है, जिससे खाना चबाने या निगलने पर दर्द का एहसास बढ़ने लगता है। इसके अतिरिक्त, कुछ बच्चों को कान में दर्द या जबड़े में दर्द का अनुभव भी हो सकता है।

एडल्ट्स में दिखते हैं ये लक्षण

वहीं, बात वयस्कों की करें, तो इस वायरस की चपेट में आने पर एडल्ट्स को शुरुआत में बच्चों के समान लक्षण नजर आ सकते हैं, जिनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगना शामिल हैं। हालांकि, वयस्कों में ये लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं। उन्हें लार ग्रंथियों की दर्दनाक सूजन का सामना करना पड़ सकता है। इससे अलग एडल्ट्स टेस्टिकल्स में दर्द और सूजन या ओवरी में सूजन से भी परेशान रह सकते हैं।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वयस्कों में अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए, तो पुरुषों में ये ऑर्काइटिस (अंडकोष की सूजन) को गंभीर कर सकती है, जो इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है। वहीं, महिलाओं में ओओफोराइटिस (अंडाशय की सूजन) की समस्या को अधिक गंभीर कर सकती है, जो भी संभावित रूप से उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इससे अलग मंप्स की चपेट में आने पर मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों की सूजन) और एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसी गंभीर समस्याएं भी पीड़ित को घेर सकती हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुर्लभ मामलों में ये स्थिति जानलेवा हो सकती है या बहरापन का कारण भी बन सकती है।

क्या है बचाव का तरीका?

मंप्स से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स वैक्सीनेशन कराने की सलाह देते हैं। खासकर बच्चों को एमएमआर वैक्सीन की दो डोज लेने की सलाह दी जाती है। इससे अलग अपने आसपास साफ-सफाई बनाए रखें, साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोते रहें। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्रों में मास्क पहनकर बाहर निकलें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।