मानसून का मौसम जहां गर्मी से राहत देता है, तो वहीं कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। मानसून में बारिश होने से नमी बढ़ती है और इसके चलते संक्रमण और वायरल का खतरा भी बढ़ जाता है। खासतौर पर जिन लोगों को अस्थमा है, उनके लिए मानसून का मौसम बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। इस मौसम में अस्थमा के मरीजों ने कुछ चीजों का ध्यान नहीं रखा तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। क्योंकि, मानसून के मौसम में नमी और हवा में घुले एलर्जन अस्थमा के मरीजों की सांस की तकलीफ को गंभीर बना सकते हैं।

एक्सपर्ट के मुताबिक, मानसून के मौसम में सांस की तकलीफ, खांसी और सीने में जकड़न आदि की समस्याएं अचानक बढ़ जाती हैं। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को इस मौसम में कुछ खास सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, इस संबंध में दुनियाभर में किए गए सैकड़ों अध्ययनों को मिलाकर एक रिसर्च की गई, जिसमें पाया गया कि अस्थमा से जुड़ी दिक्कतें मानसून के मौसम में 1.18 गुण अधिक बढ़ती है। मानसून के मौसम में बच्चों और महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर होता है। क्योंकि, इस मौसम में बच्चों को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है और बच्चों की इम्यूनिटी भी कमजोरी होती है। इसी तरह महिलाओं के साथ भी है। महिलाएं मानसून के मौसम में घर की सफाई और अन्य काम अधिक करती हैं, जो उन्हें संक्रमण होने का खतरा भी अधिक रहता है।

कंसल्टेंट चाइल्ड स्पेशलिस्ट और नियोनेटोलॉजिस्ट, मुंबई, डॉ. जितेंद्र बी. राजपूत के अनुसार, मानसून के मौसम में हवा में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। ऐसे में इस मौसम में अस्थमा के मरीजों को कई सावधानियों की जरूरत होती है, वरना एक छोटा-सा ट्रिगर बड़ा अटैक ला सकता है।

हवा में नमी

मानसून के मौसम में नमी बढ़ जाती है, जिसके चलते अस्थमा के मरीजों का सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यह नमी ब्रोंकाइटिस और अस्थमा ट्रिगर कर सकती है।

फंगल इंफेक्शन

इस मौसम में घरों की दीवारों, कपड़ों और बिस्तरों में फंगस पनप जाता है। फंगल बीजाणु सांस के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचकर एलर्जी और अस्थमा अटैक की वजह बन सकते हैं।

मच्छर-जनित बीमारी

मानसून के मौसम में मलेरिया, डेंगू, वायरल बुखार आदि अधिक फैल जाता है। इससे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जो अस्थमा को और भड़काता है।

अस्थमा के मरीज कैसे करें बचाव

  • अस्थमा के मरीज हमेशा अपना इनहेलर साथ रखें और डॉक्टरी सलाह अनुसार उसका इस्तेमाल करें।
  • घर के अंदर फंगल ग्रोथ रोकने के लिए हवादार और सूखा वातावरण बनाए रखें। गीले कपड़े तुरंत सूखाएं।
  • सुबह-शाम भाप लेना और हल्का गर्म पानी पीना सांस की नली को साफ रखने में मदद करता है।
  • धूल, धुआं, परफ्यूम, पालतू जानवर और परागकण जैसे एलर्जन से दूर रहना जरूरी है।
  • विटामिन C, तुलसी, अदरक और हल्दी जैसे इम्यूनिटी बूस्टर चीजों का सेवन करें।

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