दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की 42 वर्षीय मनोचिकित्सक डॉ. महिमा कपूर को तीन साल पहले सिरदर्द की समस्या शुरू हुई थी। पिछले दो सालों में यह समस्या काफी बढ़ गई और उन्हें रोजाना सिरदर्द होने लगा। इसको लेकर उन्होंने टेस्ट भी करवाए, लेकिन सिरदर्द का कोई खास कारण पता नहीं चल पाया।
डॉ. महिमा कपूर के मुताबिक, उन्हें दर्द सिर के एक तरफ से शुरू हुआ और काफी बढ़ गया। यह इतना बढ़ गया कि उन्हें रोजाना दर्द से राहत पाने के लिए दवाएं लेनी पड़ती थीं। सिरदर्द हर दिन कम से कम 4-5 घंटे तक रहता था, जिसके चलते वह न ही तो अपना सही तरह से काम कर पा रही थीं और न ही अपने परिवार के साथ समय बिता पाती थीं। सिरदर्द की समस्या पुरानी होती गई और कई बार दवाओं की मदद से राहत भी मिल जाती थी, लेकिन अक्सर दवाओं से भी कोई ज्यादा राहत नहीं मिलती थी।
लंबे समय तक सिरदर्द से परेशान होने के बाद अंत में उन्होंने 2023 में जी.बी. पंत अस्पताल में एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श किया और उन्हें माइग्रेन का निदान किया गया। आज उनकी हालत काफी बेहतर है। उन्होंने बताया कि अब वह सिरदर्द के लिए प्रोप्रानोलोल 80 मिलीग्राम लेती हैं। हालांकि, वह ऐसी अकेली महिला नहीं हैं जो सिरदर्द की समस्या से इतना परेशान रहती हैं।
क्या कहती है स्टडी
पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में 2,066 प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि सिरदर्द, जिसमें माइग्रेन और तनाव प्रकार का सिरदर्द शामिल है। वह विकलांगता का कारण बन रहा है, जिससे व्यक्ति की काम करने और डेली एक्टिविटी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। अध्ययन के पहले चरण के निष्कर्षों से पता चला कि 2024 तक, लगभग 67.9% लोगों ने सिरदर्द की शिकायत की और लगभग 26.3% लोगों को माइग्रेन की शिकायत थी। जिसमें प्रतिभागियों को पूरे साल में लगभग 9.5% समय मध्यम तीव्रता का सिरदर्द हुआ।
इसके अलावा स्टडी में यह भी पाया गया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में सिरदर्द की समस्या अधिक होती है। जीबी पंत अस्पताल के निदेशक, प्रोफेसर और न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. देबाशीष चौधरी के अनुसार, सिरदर्द और माइग्रेन एक बहुत बड़ा बोझ बन गए हैं। यह अध्ययन उन्होंने एम्स के डॉक्टरों के सहयोग से किया था। एम्स दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर और सह-लेखक डॉ. आनंद कृष्णन के अनुसार, इस अध्ययन में प्रतिभागी बल्लभगढ़, दक्षिणपुरी और दक्षिण दिल्ली की एक हाई लेवल कॉलोनी से थे।
अध्ययन में क्या पाया गया
डॉ. कृष्णन ने बताया कि सबसे पहले महिलाओं में सिरदर्द पुरुषों की तुलना में ज्यादा पाया गया। ये सिरदर्द प्राथमिक विकार थे, किसी अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या के कारण नहीं। दूसरा, उन्होंने कहा कि सिरदर्द के कारण गंभीर विकलांगता होती है। लाइफस्टाइल और कामकाज प्रभावित होता है। इसके अलावा अध्ययन में पाया गया कि प्रति माह सिरदर्द का अनुभव करने वाले कुल समय की सीमा 5.5% से 6.6% तक थी। कुल प्रतिभागियों में से 8.2% ने माइग्रेन की शिकायत की, जो तनाव से सिरदर्द (1.7%) की तुलना में कहीं अधिक कष्टदायक था। माइग्रेन (8.7%) या तनाव-जनित सिरदर्द (2.0%) से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों (क्रमशः 6.0% और 1.0%) की तुलना में अधिक कष्ट था।
दवा का ज्यादा सेवन बना समस्या
हालांकि, कुल मिलाकर यह बोझ उन लोगों पर सबसे ज्यादा था, जिन्हें संभावित रूप से दवा के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले सिरदर्द (pMOH) या अन्य प्रकार के सिरदर्द थे, जो महीने में 15 दिन से ज्यादा होते थे।
माइग्रेन से विकलांगता का खतरा
डॉ. देबाशीष चौधरी के अनुसार, अध्ययनों से पता चला है कि स्ट्रोक के बाद माइग्रेन दूसरी सबसे बड़ी विकलांगता पैदा करने वाली स्थिति है। यह इस विकार के गंभीर बोझ को उजागर करता है।
माइग्रेन से बचाव
माइग्रेन से बचाव के लिए लाइफस्टाइल और खानपान में कुछ बदलाव करने चाहिए। नियमित रूप से 7-8 घंटे की नींद लें, तनाव कम करने के लिए योग और मेडिटेशन करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इसके अलावा डाइट में हेल्दी फूड्स का शामिल करें।
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