Politicians Organ Transplant: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐलान किया है कि वह 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगी क्योंकि उनका हेल्थ उन्हें इस बात की अनुमति नहीं देता है। उन्होंने यह भी बताया कि वह किडनी ट्रांसप्लांट करवा सकती हैं। सुषमा स्वराज से पहले कई दिग्गज राजनेता हैं जो अपना ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवा चुके हैं। इनमें से कुछ आज भी स्वस्थ जीवन जी रहे हैं तो वहीं कुछ अब इस दुनिया में नहीं हैं।  ऐसे राजनेताओं में से कुछ के घरवालों ने ही उन्हें अपने ऑर्गन डोनेट किए ताकि वह स्वस्थ हो जाएं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक बहुत बड़ी बात होती है और इसे बहुत सावधानीपूर्वक करवाना चाहिए क्योंकि एक छोटी सी भी गलती आपकी जान ले सकती है। आइए जानते हैं किन-किन नेताओं ने अपने ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाएं हैं।

फारूक अब्दुल्ला:
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 2014 में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था। उन्होंने इस बात की पुष्टि भी की थी कि अब उनका किडनी सही तरह से काम करने लगा है और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। फारूक अब्दुल्ला को उनकी पत्नी मोली ने ही किडनी डोनेट की थी। इस सर्जरी के बाद लगभग एक साल तक फारूक डायलिसिस पर थे।

एम. जी. रामचंद्रन:
1984 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री और AIADMK के संस्थापक एम.जी. रामचंद्रन को सांस की तकलीफ हुई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। लंबे समय तक ट्रीटमेंट चलने के बाद पता चला कि उनका किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। वह कोमा में चले गए थे। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उन्हें तुरंत अमेरिका ले जाया गया था। उनकी 31 वर्षीय भतीजी लीलावती ने उन्हें अपनी किडनी डोनेट कि थी जिसके बाद उनकी हालत में सुधार आया था। इस ऑपरेशन के तीन साल बाद तक वह जीवित रहे फिर 24 दिसंबर 1987 में उनकी मौत हो गई थी।

अमर सिंह:
2009 में अमर सिंह सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में भर्ती हुए थे जहां उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। उनकी दोनों किडनी फेल हो चुकी थीं और ट्रांसप्लांट से पहले दिल्ली के बत्रा अस्पताल में उनका डायलिसिस हुआ था। किसी पार्टी कार्यकर्ता ने उन्हें अपनी किडनी डोनेट की थी।

विलासराव देशमुख:
2012 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके विलासराव देशमुख को मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का सामना करना पड़ा था। डॉक्टरों ने कहा कि तुरंत उनका लीवर ट्रांसप्लांट करना होगा। लेकिन उन्हें कोई डोनर नहीं मिला। बाद में देशमुख के घर के लोगों ने उन्हें अपने लीवर के कुछ अंश देने की बात कही लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आखिरकार विलासराव देशमुख ने दम तोड़ दिया।

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