कम उम्र में कई महिलाओं को यह शिकायत रहती है कि उनके हिप्स अचानक बड़े दिखने लगते हैं और पीछे से देखने पर शरीर की शेप असंतुलित नजर आती है। इसके पीछे सिर्फ फैट बढ़ना ही कारण नहीं होता, बल्कि हार्मोनल बदलाव, लाइफस्टाइल और जेनेटिक फैक्टर भी अहम भूमिका निभाते हैं। महिलाओं के हिप्स साइज बढ़ने के प्रमुख कारण हार्मोनल बदलाव है। महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन फैट को खासतौर पर हिप्स, जांघों और निचले हिस्से में जमा करने की प्रवृत्ति रखता है।

पीरियड्स की अनियमितता, PCOD/PCOS या थायरॉयड जैसी समस्याओं में यह फैट तेजी से बढ़ सकती हैं। गलत लाइफस्टाइल और शारीरिक गतिविधि की कमी भी हिप्स साइज बढ़ाने का अहम कारण है। लंबे समय तक बैठकर काम करना, एक्सरसाइज न करना और शरीर की मूवमेंट कम होना फैट को हिप्स और कमर के आसपास जमा होने देता है। अनहेल्दी डाइट जैसे ज्यादा मीठा, जंक फूड, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और प्रोसेस्ड फूड का सेवन शरीर में फैट स्टोरेज बढ़ाता है, जिसका असर सबसे पहले हिप्स और जांघों पर दिखाई देता है। 

जेनेटिक कारण भी नजरअंदाज नहीं किए जा सकते। अगर परिवार में महिलाओं का हिप्स एरिया स्वाभाविक रूप से चौड़ा रहा है, तो कम उम्र में भी हिप्स का साइज ज्यादा दिख सकता है। इसके अलावा तनाव और नींद की कमी से हार्मोन असंतुलित होता हैं, जिससे वजन और फैट डिस्ट्रीब्यूशन प्रभावित होता है। गर्भनिरोधक गोलियां या कुछ दवाइयां भी हिप्स साइज बढ़ाने में भूमिका निभा सकती हैं।

अगर आपकी बॉडी में भी फैट का स्तर बढ़ रहा है तो ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। सही एक्सरसाइज और नियमित अभ्यास से हिप्स और कमर की शेप दोबारा पाई जा सकती है और जमा हुआ फैट धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। कुछ एक्सरसाइज ऐसी हैं जिन्हें रोज करने से सिर्फ शरीर का शेप ही नहीं बदलता, बल्कि पोश्चर बेहतर होता है, लोअर बैक सुरक्षित रहती है और रोजमर्रा की मूवमेंट आसान हो जाती है। जर्नल ऑफ स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग रिसर्च के अनुसार, High-Intensity Interval Training (HIIT) वर्कआउट मेटाबॉलिज्म को इतना बढ़ा देते हैं कि वर्कआउट खत्म होने के कई घंटों बाद तक शरीर फैट बर्न करता रहता है। चूंकि कूल्हों पर ‘जिद्दी फैट’ (Stubborn Fat) जमा होती है, इसलिए ये आफ्टरबर्न इफेक्ट उसे पिघलाने में मदद करती है।

वैज्ञानिक शोध और एक्सरसाइज फिजियोलॉजी के अनुसार कोई भी वर्कआउट किसी एक खास अंग से चर्बी नहीं हटाती, लेकिन कुछ विशेष वर्कआउट कूल्हों (Hips) की मांसपेशियों को टोन करने और कुल शरीर की चर्बी घटाने में सबसे प्रभावी होते हैं। अच्छी बात यह है कि इसके लिए न तो महंगे इक्विपमेंट की जरूरत है और न ही घंटों जिम में पसीना बहाने की। सही एक्सरसाइज और नियमित अभ्यास से आप आज से ही हिप्स के फैट को कंट्रोल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि कौन कौन से ऐसे वर्कआउट हैं जो आपके कूल्हों के फैट को कंट्रोल कर सकते हैं।

मिनी बैंड किकबैक (Mini Band Kickback)

चारों हाथ-पैर के सहारे बैठें। हाथ कंधों के नीचे और घुटने हिप्स के नीचे रखें। मिनी बैंड का एक सिरा दाएं पैर के पंजे में और दूसरा बाएं पैर की जांघ में, घुटने के ऊपर लगाएं।कोर को टाइट रखें और दाएं पैर को धीरे-धीरे पीछे की ओर सीधा उठाएं। ध्यान रखें कि कमर न झुके, पूरा फोकस ग्लूट्स को कसने पर रखें। ऊपर जाकर एक सेकंड रुकें, फिर कंट्रोल के साथ पैर नीचे लाएं। यह एक रेप है। साइड बदलने से पहले सभी रेप्स पूरे करें। ये एक्सरसाइज तेजी से आपके कूल्हों की चर्बी को घटाने में मदद करेगी।

बल्गेरियन स्प्लिट स्क्वाट (Bulgarian Split Squat)

दाएं पैर पर खड़े हों और बाएं पैर को पीछे उठाकर रखें, घुटना हल्का मुड़ा हुआ हो। अब दाएं घुटने को मोड़ते हुए नीचे जाएं, बाएं घुटने को जमीन की ओर आने दें।
छाती सीधी रखें और बैलेंस के लिए हाथ सामने रखें। जब पीछे का घुटना जमीन के पास आए, तो दाएं एड़ी से जोर लगाकर ऊपर उठें। यह एक्सरसाइज बैलेंस के साथ-साथ ग्लूट्स और जांघों पर गहरा असर डालती है।

क्लैमशेल (Clamshell)

साइड में लेट जाएं, पैर एक-दूसरे के ऊपर हों और घुटने करीब 45 डिग्री मुड़े हों। घुटनों के ऊपर रेजिस्टेंस बैंड लगाएं। हिप्स को स्थिर रखें और पैरों को जोड़े रखते हुए ऊपर वाला घुटना धीरे-धीरे उठाएं। ध्यान रखें कि कमर न घूमे। ऊपर थोड़ी देर रुकें, फिर कंट्रोल के साथ नीचे लाएं। यह छोटी लेकिन ग्लूट्स को एक्टिव करने वाली बहुत असरदार एक्सरसाइज है। साइड बदलकर दोहराएं।

हिप थ्रस्ट (Hip Thrust)

पीठ के ऊपरी हिस्से को बेंच या एक्सरसाइज बॉल पर टिकाएं। घुटने मुड़े हों और पैर कंधों से थोड़े चौड़े रखें। कोर टाइट करें और ग्लूट्स को कसते हुए हिप्स को ऊपर उठाएं, जब तक कंधों से घुटनों तक शरीर सीधी लाइन में न आ जाए। ऊपर रुकें, फिर धीरे-धीरे नीचे आएं। ये ग्लूट्स की ताकत और शेप बनाने की सबसे असरदार एक्सरसाइज में से एक है।

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