लिवर हमारी बॉडी का एक अहम अंग है। ये शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है और कई जरूरी कार्यों को संभालता है। 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करने वाला लिवर अगर किसी दिन भी सही तरीके से काम न करे,तो शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं और शरीर बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील बन जाता है। लिवर की हेल्थ को दुरुस्त करने के लिए कुछ जूस का सेवन दवा का काम करते हैं। 

आयुर्वेद में लिवर की हेल्थ को दुरुस्त रखने का तरीका बताया गया है। लोग लिवर को डिटॉक्स करने के लिए और डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए कुछ खास जूस जैसे करेले का जूस और नीम के जूस का सेवन करते हैं।

करेला जूस और नीम का जूस आयुर्वेद सहित पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों में लोकप्रिय नेचुरल उपाय हैं। दोनों ही जूस का सेवन बॉडी को हेल्दी रखने के लिए और बॉडी को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए किया जाता है। लेकिन आप जानत है कि दोनों जूस का स्वाद, सक्रिय यौगिक और उनके फायदे अलग-अलग होते हैं। आइए जानते हैं कि करेला का जूस और नीम के जूस में क्या अंतर है, दोनों में से कौन सा जूस लिवर को डिटॉक्स करता है और डायबिटीज नॉर्मल करता है।

करेला जूस और नीम के जूस में क्या अंतर है?

करेले का जूस

करेला जूस करेले से बनाया जाता है। इस जूस को डायबिटीज कंट्रोल करने वाला जूस कहा जाता है। इसमें पॉलीपेप्टाइड-पी जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो इंसुलिन की तरह काम कर सकते हैं और ब्लड शुगर नियंत्रण में मदद कर सकते हैं।

नीम का जूस

वेबएमडी के मुताबिक नीम का जूस नीम के पत्तों से तैयार किया जाता है और इसमें डिटॉक्सिफाइंग, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कंट्रोल करते हैं खून को साफ करते हैं और आंत की सेहत को दुरुस्त करते हैं।

करेले का जूस लिवर को कैसे डिटॉक्स कर डायबिटीज करता है नॉर्मल

करेले के जूस में फ्लेवोनॉइड और फेनोलिक यौगिक होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज कर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। ये यौगिक लिवर की कोशिकाओं की हिफाजत करते हैं और लिवर को डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करते हैं। करेला का जूस ब्लड शुगर को नॉर्मल करने में भी मदद करता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि करेले का जूस रोजाना सेवन करने से फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज कम होता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है, जो टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है। ये जूस इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर करेला का जूस इम्यून सिस्टम मजबूत करता है और स्किन की रंगत में निखार लाता है। इस जूस को पीने से स्किन में चमक आती है।

नीम के जूस का लिवर पर असर

नीम जूस नीम के पत्तों से तैयार किया जाता है और इसमें डिटॉक्सिफाइंग, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। नीम में फ्लेवोनॉइड, एल्कलॉइड और टरपेनोइड्स पाए जाते हैं, जो लिवर की सुरक्षा और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करते हैं। शोध से पता चला है कि नीम के पत्तों का अर्क लिवर एंजाइम को कंट्रोल करके लिवर को सुरक्षित रखता है। आयुर्वेद में नीम का उपयोग ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए किया जाता रहा है। इसमें मौजूद यौगिक जैसे निम्बिडिन ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म सुधार सकते हैं और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम कर सकते हैं। नीम का जूस स्किन इंफेक्शन से बचाव करता है और ब्लड से टॉक्सिन को बाहर निकालता है। इसका सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है।

करेले के जूस और नीम के जूस के स्वाद में अंतर

  • करेला जूस कड़वा होता है, इसलिए अक्सर नींबू, शहद या अन्य फलों के रस के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है। सुबह खाली पेट पीने से इसके लाभ अधिक मिलते हैं।
  • नीम का जूस अत्यंत कड़वा और कसैला होता है। इसे पानी, हर्बल टी या शहद के साथ मिलाकर लेना चाहिए।

लिवर और डायबिटीज़ के लिए कौन सा जूस है बेस्ट?

लिवर हेल्थ के लिए करेले का जूस बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें मजबूत एंटीऑक्सीडेंट्स और लिवर संरक्षक यौगिक अधिक मात्रा में होते हैं। करेले का जूस पीने ले डायबिटीज कंट्रोल रहती है। हालांकि नीम का जूस भी पारंपरिक रूप से डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक माना जाता है। लिवर को डिटॉक्स करने में और ब्लड शुगर नॉर्मल रखने में अगर आप बेस्ट जूस का सेवन करना चाहते हैं तो आप करेले के जूस का सेवन करें।

पेट, कमर और कूल्हों की चर्बी बढ़ गई है तो इस खास पत्ते को रोज़ चबा लें, आचार्य बालकृष्ण ने बताया इन्हें फैट बर्नर लीव्स,पूरी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।