जब ब्लड में ग्लूकोज का लेवल हाई हो जाता है, जो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार किसी को अपना शिकार बना ले, तो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगती है और कई गंभीर बीमारी का कारण भी बनती है। आज के समय में दुनियाभर में डायबिटीज और मोटापा गंभीर हेल्थ समस्याएं बन चुकी है। शुगर की समस्या से भारत समेत दुनिया भर में करोड़ों लोग इन दोनों स्थितियों से जूझ रहे हैं और लाइफटाइम दवाओं पर निर्भर हो जाते हैं।
दरअसल, ब्लड ग्लूकोज शरीर की मुख्य एनर्जी का स्रोत होता है और यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से प्राप्त होता है। इंसुलिन नामक एक हार्मोन जिसे पैंक्रियास बनाता है, ये भोजन से मिलने वाले ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में पहुंचाने में मदद करता है, ताकि वह ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल हो सके, लेकिन जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या इंसुलिन को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता तो ग्लूकोज ब्लड में ही बना रहता है और सही तरह से कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता। जिसके चलते शरीर की एनर्जी की आवश्यकताएं पूरी नहीं होती और बॉडी में ब्लड शुगर का लेवल हाई होने लगता है।
हाल ही में जापान के वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में यह दावा किया है कि कुछ आसान प्राकृतिक उपायों और डेली रूटीन की मदद से ना सिर्फ शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि इससे वजन भी घटाया जा सकता है। जिसके लिए किसी भी दवा की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। जापान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक रिसर्च में दावा किया कि जीन एडिटिंग के जरिए शरीर में नैचुरल ओजेम्पिक बना सकता है। रिसर्च में जापान के शोधकर्ताओं ने पाया कि जीन एडिटिंग के जरिए बॉडी में नैचुरल ओजेम्पिक पैदा किया जा सकता है, जो वजन कम करने के लिए भी असरदार साबित हो सकता है। इससे न सिर्फ शुगर कंट्रोल में रहेगा, बल्कि वजन कम करने में भी मदद मिलेगी।
क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करने के लिए जीएलपी-1 एगोनिस्ट दवाओं की एक क्लास है। जापान के वैज्ञानिकों ने अपनी इस रिसर्च में चूहों पर एक खास जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया। जिसमें पाया गया कि चूहे एक बार इलाज करने के बाद खुद ही एक्सेनाटाइड नाम की दवा को अपने शरीर में छह महीने तक बनाते रहे।
इस रिसर्च को 2 ग्रुप्स में बांटा गया, एक में उन्हें शामिल किया जिन्हें जीन एडिटिंग की गई थी। दूसरा ग्रुप वो जिनके चूहों की जीन एडिटिंग नहीं तकी गई थी। इन चूहों को ज्यादा फैट वाला खाना खिलाया गया ताकि वे मोटे हो जाएं और प्रीडायबिटीज जैसी हालत में पहुंच जाएं। रिसर्च में पाया गया कि जिन चूहों का शरीर नेचुरल रूप से एक्सेनाटाइड का उत्पादन नहीं कर रहा था, उन्होंने जीन एडिटिंग वाले चूहों की तुलना में अधिक खाया था। ऐसे में जीन एडिटिंग के बाद जिन चूहों के शरीर में एक्सेनाटाइड खुद बनने लगा था, उन्होंने कम खाना खाया। इससे उनका वजन कम बढ़ा और उनकी इंसुलिन पर प्रतिक्रिया बेहतर रही, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।