अनाज हमारी डाइट का अहम हिस्सा है जिसका सेवन हम अपने दिन भर के खाने में दो से तीन बार करते हैं। अनाज में भी चावल और गेहूं हमारे दो प्रमुख अनाज है जो हमारे हर समय के खाने में मौजूद होते हैं। कार्बोहाइड्रेट से भरपूर ये दोनों अनाज बॉडी को जरूरी पोषक तत्व देते हैं और बॉडी को एनर्जेटिक बनाते हैं। चावल और गेहूं दोनों अनाज में कैलोरी भरपूर मौजूद होती है जो वजन को तेजी से बढ़ाते हैं। गेहूं की बात करें तो इसमें चावल की तुलना में ज्यादा फाइबर होता है इसलिए गेहूं के आटे से बनी रोटी पचने में समय लेती है जबकि चावल में कम फाइबर मौजूद होता है और वो जल्दी पच जाता है। ये दोनों फूड सेहत के लिए उपयोगी हैं लेकिन अगर ये दोनों अनाज कई महीनों या सालों तक रखकर खाए जाएं तो बॉडी पर कैसा असर होता है।

पुराना चावल और गेहूं कितना पुराना होता हैं?

जब चावल या गेहूं पुराना हो जाता है तो इसकी पोषक प्रोफाइल बदल जाती है जो पाचन को प्रभावित करती है। चावल और अनाज महीनों और सालों पुराने हो सकते हैं। चावल और अनाज के पुराने होने की प्रक्रिया इन अनाज को नियंत्रित वातावरण में परिपक्व होने के लिए माहौल देती है। जैसे-जैसे अनाज की उम्र बढ़ती है, उनका स्वाद और उसकी बनावट बदलती है। इस अनाज में जैव रासायनिक परिवर्तन होते हैं जो उसके हेल्थ बेनेफिट्स को बढ़ा सकते हैं।

पुराने चावल और गेहूं के सेवन के फायदे

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पुराने चावल और पुराना गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ताजे गेहूं की तुलना में कम होता है। इसका मतलब यह है कि इनका सेवन करने से ब्लड में शुगर का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। इस अनाज को खाकर शुगर स्पाइक का खतरा टल जाता है। डायबिटीज मरीज अगर ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करना चाहते हैं तो पुराने चावल और पुराने गेहूं का सेवन करें। याद रखें कि ये अनाज और चावल सुरक्षित तरीके से स्टोर किए गए है और इसमें किसी तरह का घुन और कीड़े नहीं हो। पुराने अनाज ग्लूकोज के स्तर पर स्लो असर करते हैं जिससे ब्लड में शुगर का स्तर नॉर्मल रहता है।

पुराना अनाज कैसे सेहत को फायदा पहुंचाता है?

अनाज को अगर कुछ महीनों तक या एक से दो सालों तक ठीक से स्टोर करके खाया जाए तो ये सेहत के लिए अमृत बन जाता है। पुराने अनाजों में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ सकती है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को कम करने में मददगार साबित होता है। ताजे कटे हुए अनाज में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उस अनाज की उम्र बढ़ती है उसमें कुछ यौगिकों का स्तर बढ़ जाता है जो अच्छी सेहत के लिए जाने जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं, क्रॉनिक बीमारियों का जोखिम कम करते हैं और ओवर ऑल हेल्थ को फायदा पहुंचाते हैं।

पुराना अनाज पाचन को कैसे करता है प्रभावित

पुराने अनाज का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है। पुराने चावल और गेहूं का सेवन करने से पाचन शक्ति में सुधार होता है। ताजे अनाज में कुछ यौगिकों का स्तर हाई होता है जो एंजाइम गतिविधि को बाधित कर सकते हैं। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से चावल और गेहूं की पाचन शक्ति में भी सुधार होता है।

कुछ लोगों के लिए ताजे कटे हुए अनाज को पचाना कठिन हो सकता है क्योंकि इसमें कुछ यौगिकों का उच्च स्तर होता है जो एंजाइम एक्टिविटी को बाधित कर सकता हैं जिसकी वजह से लोगों को उसे पचाना मुश्किल होता है। अनाज की बढ़ती उम्र इन यौगिकों को तोड़ने में मदद करती है जिससे अनाज को पचाना आसान हो जाता है। जिन लोगों का पाचन संवेदनशील है उन लोगों के लिए पुराने अनाज का सेवन बेस्ट विकल्प साबित होगा।