दिन भर की थकान के बाद रात में सुकून की 8 घंटे की नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इर्रेगुलर स्लीपिंग पैटर्न यानि देर रात तक सोना या रात में ठीक से नींद ना आना या फिर सुबह देर से उठने की आदतें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है कि irregular sleeping pattern ग्लूकोमा के विकास और प्रगति के लिए जिम्मेदार है।

बीएमजे ओपन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन ने नींद के व्यवहार और ग्लूकोमा के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया है। 2006-2010 के बीच 40 से 69 वर्ष की आयु के 4,00,000 से अधिक लोगों पर ग्लूकोमा के निदान के लिए अध्ययन किया गया है। रिसर्च में कहा गया है कि हेल्दी स्लीपिंग पैटर्न वाले व्यक्तियों की तुलना में, खर्राटे और दिन में नींद आने वाले व्यक्तियों में ग्लूकोमा का अधिक जोखिम देखा गया है।

अध्ययन में पाया गया कि खर्राटे, दिन में नींद आना, अनिद्रा की समस्या सभी ग्लूकोमा के जोखिम से जुड़े थे। शोध में कहा गया है कि ये अध्ययन ग्लूकोमा के जोखिम वाले व्यक्तियों में नींद की आवश्यकता को दर्शाता है। आइए जानते हैं कि कैसे नींद की कमी ग्लूकोमा की परेशानी को बढ़ाती है।

कम नींद से कैसे आंखों की रौशनी कम होती है:

सेंटर फॉर साइट के अध्यक्ष डॉ महिपाल एस सचदेव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि ग्लूकोमा को साइलेंट चोर कहा जाता है, क्योंकि इस रोग के प्रारंभिक चरण में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। इस स्थिति में आंखों की रोशनी को खतरा होता है। इस बीमारी में धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम होती जाती है। जब तक ग्लूकोमा का पता चलता है, तब तक रोगी की आंखों को बेहद नुकसान पहुंच जाता है।

स्लीप एपनिया कैसे ग्लूकोमा का कारण बनता है?

इंस्टाविज़न आई एंड लासिक सेंटर के वरिष्ठ सलाहकार नेत्र सर्जन और चिकित्सा निदेशक, नई दिल्ली के डॉ रोहित पाहवा ने कहा कि नींद की कमी या अनिद्रा की परेशानी की वजह से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। आंखों के दबाव से संबंधित ऑप्टिक नर्व को नुकसान (optic nerve damage)पहुंचता है, जिसे ग्लूकोमा के रूप में जाना जाता है। ये स्थिति आंखों की रोशनी जाने का कारण भी बन सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक जिन लोगों को स्लीप एपनिया है उन्हें ग्लूकोमा विकसित होने की संभावना 10 गुना अधिक हो सकती है।

इस तरह करें बीमारी का उपचार:

  • जिन लोगों को स्लीप एपनिया की परेशानी है वो बॉडी वेट को कंट्रोल करें।
  • स्लीप एपनिया को नियंत्रित करने के लिए स्लीप हाइजीन बनाए रखें।
  • अपको साइनस की परेशानी है तो उसे कंट्रोल करें।
  • नींद का समय निश्चित रखें।
  • डिनर और सोने के समय में दो घंटे का अंतराल बनाए रखें।
  • सोने से कम से कम चार घंटे पहले तक कैफीनयुक्त ड्रिंक का सेवन नहीं करें।
  • सोने से दो घंटे पहले स्क्रीन देखना बंद कर दें।
  • सोने से दो घंटे पहले प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से बचें।