अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में खानपान का बहुत ही ध्यान रखना पड़ता है। आजकल इंटरमिटेंट फास्टिंग तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा अपनाया जाने वाला पैटर्न है 16:8 डाइट, जिसमें 16 घंटे का फास्ट और 8 घंटे का ईटिंग विंडो होता है, लेकिन सवाल यह है कि इस ईटिंग विंडो का सही समय क्या होना चाहिए। सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक डिनर स्किप करके या फिर दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक ब्रेकफास्ट स्किप करके।
हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के मुताबिक, सेहत के लिए 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग एक शानदार तरीका हो सकता है। यह न सिर्फ वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म सुधारने, ब्लड शुगर कंट्रोल करने और पेट की समस्याओं से भी राहत दिलाता है। ये एक ऐसा तरीका है जिसमें एक फिक्स्ड टाइम तक हम कुछ नहीं खाते हैं और एक छोटे समय में ही खाना खाते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, डिनर छोड़ना यानी सुबह से शाम तक खाना और रात में उपवास करना, मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
क्या है 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है कि एक दिन में 16 घंटे उपवास यानी फास्टिंग करना और बाकी 8 घंटों के दौरान खाना खाया जा सकता है। उदाहरण के लिए सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खाना खाएं और फिर शाम 6 बजे से अगले दिन 10 बजे तक फास्टिंग करें। इस फास्टिंग प्लान को फॉलो करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।
सुबह से शाम तक खाना क्यों बेहतर है?
डॉ. कुमार ने बताया कि रिसर्च और क्लिनिकल स्टडीज यह संकेत देती हैं कि अर्ली टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (eTRE), यानी सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक खाने के फायदे अधिक हो सकते हैं।
इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होगी
सुबह और दिन के समय शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है यानी ग्लूकोज का मेटाबॉलिज्म ज्यादा प्रभावी रहता है। इस वजह से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है।
फास्टिंग ग्लूकोज कम होगा
कई अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग जल्दी खाना खाते हैं और शाम को उपवास करते हैं, उनका फास्टिंग ग्लूकोज लेवल कम रहता है। यह डायबिटीज से बचाव में मददगार हो सकता है।
ज्यादा वेट और फैट लॉस
नियमित रूप से इस फास्टिंग को फॉलो करने से वजन तेजी से घटता है। कुछ क्लिनिकल ट्रायल्स में यह भी देखा गया कि डिनर स्किप करने वाले लोगों का वजन और बॉडी फैट तेजी से घटा।
ब्लड प्रेशर पर असर
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है। अर्ली ईटिंग विंडो का असर डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर भी सकारात्मक देखा गया है।
मेटाबॉलिक फैक्टर्स
सूजन, गट माइक्रोबायोम डाइवर्सिटी और अन्य मेटाबॉलिक मार्कर्स में भी सुबह से शाम तक खाने वालों में ज्यादा सुधार देखने को मिला है। हालांकि, इसको लेकर रिसर्च अभी भी जारी है।
किन बातों का ध्यान रखना जरूरी
डॉ. कुमार के मुताबिक, सिर्फ टाइमिंग ही नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और हेल्थ कंडीशन भी अहम रोल निभाती है। अगर कोई नाइट आउल यानी रात को देर तक जागने वाला है या देर रात तक काम करता है, तो उसके लिए सुबह-शाम खाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में सिर्फ समय नहीं, बल्कि भोजन की क्वालिटी, कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स का बैलेंस भी उतना ही जरूरी है। इसके अलावा डायबिटीज, शिफ्ट वर्क करने वाले लोग या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में इस डाइट का असर अलग हो सकता है।
इसके अलावा खाने के बाद इन 2 चीजों को तुरंत चबा लीजिए, पाचन तंत्र करने लगेगा तेजी से काम, सुबह उठते ही पेट की हो जाएगी सफाई।