हम जो कुछ भी खाते हैं वो ग्लूकोज़ में टूटता है जिससे इंसुलिन का स्राव होता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो ग्लूकोज को बॉडी में मौजूद अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। अगर आप मीठा का ज्यादा सेवन कर रहे हैं तो ब्लड में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ने लगेगा और इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर पाएगा जैसा उसे करना चाहिए। इंसुलिन का ठीक से काम नहीं करना ही इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है। हमारे मसल्स, फैट और लिवर में मौजूद सेल्स, इंसुलिन को सही तरह से प्रतिक्रिया करने नहीं देते हैं, जिस कारण खून से ग्लूकोज का इस्तेमाल सामान्य रूप से नहीं हो पाता है जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है।
अगर इंसुलिन प्रभावी रूप से काम नहीं कर रहा तो ब्लड शुगर का स्तर हाई रहेगा और आप प्री डायबिटीज या फिर डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक इंसुलिन प्रतिरोध के लिए कोई टेस्ट नहीं किया जा सकता लेकिन ब्लड शुगर हाई रहे तो टेस्ट के जरिए उसका पता लगाया जा सकता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस कई बीमारियों का कारण बन सकता है जैसे मोटापा,हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल और टाइप 2 डायबिटीज।
इंसुलिन प्रतिरोध को कंट्रोल करने के लिए दवाईयों का सेवन और लाइफस्टाइल में बदलाव महत्यपूर्ण भूमिका निभाता है। अपोलो हॉस्पिटल्स की मुख्य डायटीशियन डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया है कि इंसुलिन प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए डाइट बेहद असरदार साबित होती है। कुछ फूड्स को डाइट में शामिल करके इंसुलिन प्रतिरोध का सामना असानी से किया जा सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कौन से फूड्स का सेवन करें जिससे इंसुलिन प्रतिरोध का सामना किया जा सके।
बिना स्टार्च वाली सब्जियां खाएं
बिना स्टार्च वाली सब्जियां जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकोली, फूलगोभी और बेल मिर्च का सेवन करने से बॉडी को जरूरी विटामिन,खनिज और डाइटरी फाइबर मिलता है। कम कैलोरी वाली ये सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करती हैं। इन सब्जियों का सेवन करने से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है। इनमें मौजूद फाइबर ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करता है और खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर भी कम करता है। ये सब्जियां इंसुलिन प्रतिरोध का सामना करने में योगदान करती हैं।
बेरीज का सेवन करें
ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रास्पबेरी जैसे जामुन इंसुलिन प्रतिरोध से निपटने में बेहतरीन भूमिका निभाते हैं। ये रंगीन फल एंटीऑक्सिडेंट और पॉलीफेनोल्स से भरपूर होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं और सूजन को कम करने में मददगार होते हैं। इन फ्रूट्स की नैचुरल मिठास रिफाइंड शुगर का बेहतरीन विकल्प है जो ज्यादातर फूड्स में मौजूद होती है।
साबुत अनाज
साबुत अनाज जैसे जई, क्विनोआ और ब्राउन चावल, अपरिष्कृत कार्बोहाइड्रेट हैं जिनमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व होते हैं। साबुत अनाज में मौजूद फाइबर सामग्री पाचन को दुरुस्त करती है और ब्लड शुगर के अवशोषण को धीमा करती है जिससे ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल रहता है। परिष्कृत अनाज की जगह साबुत अनाज का सेवन करने से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है और टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम हो सकता है।
दालचीनी खाएं
दालचीनी औषधीय गुणों से भरपूर मसाला है जिसमें इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने की क्षमता मौजूद है। कई रिसर्च से पता चला है कि दालचीनी ग्लूकोज को कोशिकाओं में अधिक प्रभावी ढंग से प्रवेश करने में मदद कर सकती है। दालचीनी को डाइट में शामिल करके इंसुलिन प्रतिरोध को कंट्रोल किया जा सकता है। दालचीनी का इस्तेमाल उसे पीसकर पाउडर के रूप में सेवन कर सकते हैं या फिर उसकी चाय बनाकर भी पी सकते हैं। दालचीनी इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों के लिए एक सरल और प्रभावशाली इलाज है।