मानसून का मौसम गर्मी से राहत देता है, हालांकि इस मौसम में बीमारियों का खतरा भी उतना ही बना रहता है। खासकर इस मौसम में नवजात शिशुओं के लिए कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं पैदा होने की संभावनाएं रहती हैं। ऐसे में माता-पिता को मानसून के दिनों में नवजात शिशुओं पर बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है।

बारिश के पानी और नमी में पनपने वाले बैक्टीरिया बड़ों के साथ-साथ शिशुओं को भी कई तरह के संक्रमण से घेर सकते हैं। ऐसे में आइए हेल्थ एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि आखिर मानसून में मासूम की सेहत का ख्याल किस तरह रखा जा सकता है-

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

मामले को लेकर नारायणा हेल्थ एस.आर.सी.सी चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल, मुंबई में सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक मेडिसिन, डॉ. महेश बालसेकर बताते हैं, ‘मानसून के दौरान स्वच्छता बहुत जरूरी है। इसे लेकर खासकर बच्चों के साथ लापरवाही न बरतें। अपने नवजात शिशु को रोज हल्के गुनगुने पानी से नहलाएं, इससे त्वचा के संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। साथ ही नवजात की स्किन को साफ करने के लिए हल्के, हाइपोएलर्जेनिक बेबी साबुन का इस्तेमाल करें।

नहाने के बाद साफ कपड़े से शिशु के शरीर से पानी को पूरी तरह साफ कर लें। बच्चे को गीले कपड़े पहनाने से कैंडिडिआसिस जैसे फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में शिशु को नहलाने के बाद पूरी तरह पानी को साफ कर ही कपड़े पहनाएं।

पोषण संबंधी देखभाल

डॉ. महेश बालसेकर बताते हैं, नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान जरूरी है। मां का दूध बच्चे को जरूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करता है, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिलता है। वहीं, अगर किसी कारणवश मां का दूध उपलब्ध नहीं है, तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण से बचने के लिए फॉर्मूला मिल्क ठीक से उबालकर और ठंडा करके ही बच्चे को पिलाएं।

संक्रमण से बचाव

जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है, मानसून में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इससे बच्चे को सामान्य सर्दी जुकाम और इन्फ्लूएंजा जैसे रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन घेर सकते हैं। ऐसे में अपने बच्चे को बीमार व्यक्तियों और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रखें। साथ ही नमी से बचने के लिए कमरे में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करें। नमी से पैदा होने वाली फफूंद इंफेक्शन के खतरे को बढ़ा सकती है।

डायपर को लेकर बरतें सावधानी

डॉ. महेश बालसेकर बच्चे के डायपर को लेकर भी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। डॉ. के मुताबिक, मानसून में गर्मी और नमी के कारण त्वचा पर डायपर से रैशज होने लगते हैं। इससे भी कई बार इंफेक्शन फैलने का डर बना रहता है। ऐसे में डायपर को समय-समय पर बदलते रहें, साथ ही रैशज को रोकने और उसका इलाज करने के लिए आप नैपी रैशज क्रीम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

टीकाकरण

टीकाकरण के शेड्यूल का पालन करना बहुत जरूरी है। ये मासूम को मानसून के दौरान होने वाले कई तरह के संक्रमणों से बचाता है। खासकर 6 महीने से ज़्यादा उम्र के बच्चों को इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाने की सलाह दी जाती है।

इस तरह पहनाएं कपड़े

इस मौसम में नवजात शिशु को ज्यादा कपड़े न पहनाएं। बच्चे के कपड़े हल्के, हवादार और सूती होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भारी और सिंथेटिक कपड़े भी गर्मी और नमी का कारण बन सकते हैं।

स्वस्थ माहौल बनाए रखें

मानसून के दौरान पानी से होने वाले संक्रमण आम हैं इसलिए नवजात शिशु के आसपास स्वच्छ और सूखा माहौल बनाए रखें। साथ ही पीने के लिए, पानी उबालकर या अच्छी क्वालिटी के यूवी फिल्टर से स्टरलाइज करके ही प्रयोग करें।

सामान्य बीमारियों से बचाव

अपने बच्चे में बीमारी के लक्षणों जैसे बुखार, खांसी, सुस्ती या कम भोजन करना, ढीले मल या उल्टी आदि को लेकर निगरानी रखें। नवजात शिशुओं का खुद से इलाज बिल्कुल भी ना करें। साथ ही अगर आपको बच्चे की स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इस तरह कुछ खास बातों पर ध्यान देकर आप अपने बच्चे की सेहत का ख्याल रख सकते हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।