अचानक आवाज बैठना, सांस लेने में तकलीफ या गले में गांठ निकलना थायरायड कैंसर का कारण हो सकता है, इसलिए इस तरह के लक्षण को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। दरअसल, थायरायड तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है जो गर्दन के सामने में स्थित होती है। यह कॉलरबोन के ठीक उपर होता है। थायरायड कई तरह के हार्मोन को बनाता है जिससे कई शारीरिक क्रियाएं संपन्न होती है। थायरायड ग्रंथि से थायरॉक्सिन (T4), केल्सिटोनिन और ट्रिअडोथायरोनिन (T3) हार्मोन बनते हैं जो शरीर में मेटाबोलिज्म को सक्रिय करता है। ये मूड को सही रखता है और सांस लेने और हृदय की गति को संतुलित रखने में मदद करता है।
इतना ही नहीं थायरायड हार्मोन के कारण ही डाइजेशन सही रहता है और ये वेट को अधिक बढ़ने से रोकता है। इतना महत्वपूर्ण अंग होने के कारण थायरायड में थोड़ी सी गड़बड़ी कई बीमारियों को जन्म दे सकती है। थायराइड का कैंसर भी एक ऐसी परेशानी है जो महिलाओं में तेजी से फैल रही है। आइए जानते हैं कि थायराइड कैंसर क्या है और उसके लक्षणों की पहचान कैसे करें।
क्या है थायरायड कैंसर:
हाल ही में रिसर्च गेट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं में थायरायड कैंसर का जखिम बढ़ता जा रहा है। रिसर्च के मुताबिक 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में थायरायड कैंसर की आशंका 121 प्रतिशत बढ़ी है जबिक 30-44 साल की महिलाओं में 107 प्रतिशत और 45 से 59 साल की उम्र की महिलाओं में थायरायड कैंसर की आशंका 15 प्रतिशत बढ़ी है।
थायरायड कैंसर में थायरायड ग्रंथि की कोशिकाओं में असमान्य वृद्धि होने लगती है। इससे गले में थायरायड ग्रंथि के पास गांठ या लिंफ नोड दिखाई देने लगता है। शुरुआत में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं लेकिन बाद में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
थायरायड कैंसर के लक्षण
थायरायड कैंसर होने की स्थिति में सबसे पहले आवाज में असामान्य परिवर्तन महूसस होने लगता है। आवाज भारी होने लगती है और बोलने में तकलीफ होने लगती है। बहुत मेहनत से कुछ बोला जाता है। खाने के दौरान निगलने में भी परेशानी होती है। ऐसा महसूस होता है कि पहले से टाइट शर्ट गर्दन में और ज्यादा तंग हो गई है। गर्दन के पास सूजन भी होने लगती है।
थायरायड कैंसर के कारण:
थायरायड कैंसर तब होता है जब थायरायड की कोशिकाएं अपने डीएनए में हुए बदलाव के कारण असामान्य तरीके से वृद्धि करने लगती है। दरअसल, किसी कोशिका के अंदर डीएनए में कोशिका को निर्देशित करने की कुंडली होती है जो निर्देश देती है कि कब क्या करना है। लेकिन डीएनए में बदलाव हो जाता है जिसे डॉक्टर म्यूटेशन कहते हैं। परिवर्तन के बाद कोशिका को तेजी से वृद्धि करने का संकेत देती है। इस दौरान स्वस्थ्य कोशिकाएं मरती जाती है और उनकी जगह कैंसर कोशिकाएं बनती जाती है। यह धीरे-धीरे जमा होकर ट्यूमर बनने लगती है।
