Talk Therapy:जिंदगी की मसरूफियत जितनी बढ़ती जा रही है उतनी ही परेशानियां और तनाव भी बढ़ता जा रहा है। लगातार लम्बे समय तक रहने वाला तनाव किसी को भी डिप्रेशन का शिकार बना देता है। डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो आपको कई तरह की बीमारियों का शिकार बना सकती है। डिप्रेशन में नकारात्मक विचार दिमाग पर हावी हो जाते हैं जिससे मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। आप जानते हैं कि लम्बे समय तक रहने वाला अवसाद आपको दिल का मरीज़ बना सकता है। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अवसाद से ग्रस्त लोगों को अपने जीवनकाल में दिल के रोग होने का जोखिम 72 प्रतिशत तक अधिक रहता है।

यूरोपियन हार्ट जर्नल में हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से अवसाद को मैनेज करके दिल के रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है। यह रिसर्च बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि दुनिया भर में दिल के रोगों से मरने वाले लोगों का आंकड़ा 32 फीसदी है। आइए जानते हैं कि कैसे बातचीत करके अवसाद को कम किया जा सकता है और दिल के रोगों से बचा जा सकता है।

टॉक थेरेपी कैसे अवसाद और दिल के रोगों का जोखिम कम करती है:

अवसाद और दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के लिए बात करना और सुनना बेहद जरूरी है। मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप हृदय रोग की रोकथाम में बेहद असरदार साबित होता है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के विशिष्ट प्रोफेसर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ के श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि ये अध्ययन दिखाता है कि सहानुभूतिपूर्ण बातचीत और आत्मविश्वास बढ़ाने वाली बातचीत जैसे मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप अवसाद का मुकाबला कर सकते हैं और कार्डियोवैस्कुलर जोखिम को कम कर सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक हृदय संबंधी घटनाओं को रोकने में मनोचिकित्सात्मक हस्तक्षेप बहुत मदद कर सकता है।

टॉक थेरेपी क्या है?

टॉक थेरेपी आपको उन भावनाओं, विचार, बिहेवियर को पहचानने और बदलने में मदद करता है जो आपको परेशान कर रहे हैं। बात-चीत के जरिए आपके दिमाग का बोझ कम होता है और तनाव दूर होता है। तनाव घबराहट और दिल के रोगों को बढ़ा सकता है। ऐसे मामलों में यह महत्वपूर्ण है कि एक हृदय रोग विशेषज्ञ और एक मनोवैज्ञानिक बीमारी की वास्तविक प्रकृति की पहचान करें और मरीज की मदद करें। टॉक थेरेपी से अवसाद के लक्षणों में सुधार होता है और दिल के रोगों का जोखिम भी कम होता है।

टॉक थेरेपी कैसे दिल के रोगों से बचाव करती है:

हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के ग्लोबल हेल्थ एंड पॉपुलेशन विभाग के प्रोफेसर डॉ.विक्रम पटेल के अनुसार कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी से कार्डियक रिस्क को कम किया जा सकता है। रिसर्च के मुताबिक इस बात में कोई दो राय नहीं है कि डिप्रेशन कई गंभीर बीमारियों जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। हाई ब्लड प्रेशर,खराब डाइट,अनहेल्दी फूड्स का सेवन,शारीरिक गतिविधि में कमी,नींद की कमी,सामाजिक साहचर्य की कमी और नशीले पदार्थों का सेवन आपको दिल के रोगों का शिकार बना सकता है।