खराब खानपान, जीवन शैली, हार्मोन्स के असंतुलन, दिल की बीमारी, मोटापे और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण लोग डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। डायबिटीज यानी मधुमेह एक क्रॉनिक डिजीज है, जो पैन्क्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन कम या फिर बंद होने के कारण होती है। दरअसल, इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है जो खून में मौजूद ग्लूकोज से मिलकर शरीर को एनर्जी प्रदान करता है। मधुमेह की बीमारी में ब्लड शुगर लेवल यानी रक्त शर्करा अनियंत्रित रूप से घटता-बढ़ता रहता है।

ब्लड शुगर लेवल के लक्षण: बॉडी में शुगर लेवल बढ़ने के कारण टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है। हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण तनाव, थकावट, सिर दर्द, आंखों की रोशनी धुंधनी होना, वजन घटना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, लगातार पेशाब आना और बार-बार प्यास लगना समेत कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इसके अलावा हाई ब्लड शुगर लेवल हार्ट स्ट्रोक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी फेलियर और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी जानलेवा स्थिति का कारण भी बन सकता है।

ऐसे में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना बेहद ही जरूरी है। बता दें, बॉडी में ब्लड शुगर का नॉर्मल स्तर (फास्टिंग के दौरान, यानि जब व्यक्ति से पिछले आठ घंटे से कुछ भी न खाया हो) 70-99 mg/dl के बीच होता है। खाने से दो घंटे पहले यह स्तर 140 mg/dl तक हो सकता है। लेकिन यह लेवल 200-400 mg/dl के बीच हो जाए तो इस स्थिति को बेहद ही खतरनाक माना जाता है।

दवाइयों के साथ-साथ खानपान में बदलाव कर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है।

तुलसी: औषधियों गुणों से भरपूर तुलसी में बीटा-सेल्स होते हैं, जो पैन्क्रियजा को इंसुलिन बनाने में मदद करते हैं। सुबह खाले पेट 2-3 तुलसी के पत्तों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसेक अलावा आप खाली पेट तुलसी के रस का भी सेवन कर सकते हैं।

तेज पत्ता: डायबिटीज की बीमारी में तेज पत्ता किसी रामबाण से कम नहीं है। एक शोध के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को हर दिन दो ग्राम तेजपत्ते का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे रक्त शर्करा के स्तर में 30 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है।