जब भी डायबिटीज की बात आती है तो सभी टाइप 1 और टाइप 2 के बारे में सोचते हैं, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि डायबिटीज का एक और रूप है जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। इसे लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट्स (LADA) कहा जाता है, जिसे आम भाषा में टाइप 1.5 डायबिटीज भी कहते हैं। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और इसकी पहचान करना मुश्किल होता है। अगर समय रहते इसका सही ध्यान न हो, तो मरीज गंभीर समस्याओं का शिकार हो सकता है।
LADA यानी टाइप 1.5 डायबिटीज एक गंभीर लेकिन अक्सर छुपी हुई बीमारी है। इसकी पहचान समय पर न होने से मरीज गलत इलाज के कारण गंभीर समस्या का सामना कर सकते हैं। इसलिए अगर 30 साल की उम्र के बाद डायबिटीज के लक्षण दिखें और दवाइयों से भी शुगर कंट्रोल न हो, तो जरूरी है कि एंटीबॉडी टेस्ट कराकर सही निदान कराया जाए। सही समय पर इलाज मिलने से मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं और गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
डायबिटीज मेलिटस के प्रकार
- टाइप 1 डायबिटीज- जब पैनक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।
- टाइप 2 डायबिटीज- जब शरीर इंसुलिन को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, जो अधिकतर वजन, लाइफस्टाइल और निष्क्रियता से जुड़ी होती है।
- LADA यानी टाइप 1.5 डायबिटीज- यह टाइप 1 की तरह ऑटोइम्यून होती है, लेकिन धीरे-धीरे विकसित होती है और आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद दिखती है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, वयस्कों में 2 से 12% डायबिटीज के मामले LADA हो सकते हैं। शोध बताते हैं कि इसमें जेनेटिक फैक्टर्स भूमिका निभाते हैं, लेकिन पर्यावरणीय कारण जैसे कि सांस की बीमारियां या संक्रमण भी इसे ट्रिगर कर सकते हैं।
क्यों होती है अक्सर गलत पहचान?
LADA को अक्सर टाइप 2 डायबिटीज समझ लिया जाता है, क्योंकि इसके लक्षण काफी हद तक समान होते हैं। इसमें ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, वजन कम होना और संक्रमण होना आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, करीब 5 से 10% LADA मरीजों का गलत निदान हो जाता है। डॉक्टर अक्सर यह मान लेते हैं कि ऑटोइम्यून डायबिटीज सिर्फ बच्चों में होती है, जिसके कारण वयस्क मरीजों को टाइप 2 की दवाइयां और डाइट प्लान दिया जाता है, लेकिन इस दौरान उनका शुगर लेवल लगातार बढ़ता रहता है।
गलत इलाज कितना खतरनाक
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर की डॉ. कैथलीन डुंगन के मुताबिक, LADA के मरीजों को टाइप 2 के मरीजों की तुलना में जल्दी इंसुलिन की जरूरत होती है। अगर इसका इलाज सही समय पर न हो, तो मरीज डायबिटिक कीटोएसिडोसिस जैसी जानलेवा स्थिति का शिकार हो सकता है।
सही डायग्नोसिस कैसे कराएं
LADA की जांच आसान नहीं है और अक्सर प्राइमरी डॉक्टर इसके लिए टेस्ट नहीं लिखते। इसलिए मरीजों को खुद भी जागरूक रहना पड़ता है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी की डॉ. कैथलीन वायन के मुताबिक, इसकी पहचान के लिए GAD, ICA, IAA, IA2 और ZnT8 पांच एंटीबॉडीज की जांच कराई जाए। इसके लिए सिर्फ ग्लूकोज, HbA1c या C-पेप्टाइड टेस्ट पर्याप्त नहीं हैं।
वहीं, फिटनेस ट्रेनर नवनीत रामप्रसाद के अनुसार, सिर्फ लंबी वॉक करना 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मजबूत बनाने के बजाय और भी कमजोर कर सकता है।