सर्दियों के दिनों में अक्सर दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं। पहले अधिक उम्र के लोग हृदय रोग की चपेट में आते थे। मगर अब अन्य लोगों में भी इसके लक्षण दिखने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई लोग दिल के दौरे के शिकार हुए हैं। हाल-फिलहाल ऐसे कई मामले सामने आए, जिससे लोगों में चिंता बढ़ी है। आखिर इसकी वजह क्या है? दरअसल, अब लोगों की जीवन शैली बहुत बदल गई है। कामकाज का तनाव बढ़ गया है। खान-पान के प्रति लापरवाही ने भी हृदय को कमजोर कर दिया है। हृदय रोग पहले भी होता था, लेकिन अब जिस तरह हर उम्र के लोगों को दिल के दौरे पड़ने लगे हैं, उससे चिकित्सक हैरान हैं। मगर यह तो तय है कि सर्दियों में ऐसे मामले आमतौर पर बढ़ जाते हैं। इस समय दिल की देखभाल और जरूरी हो जाती है।

मेदांता पटना के डॉ. प्रमोद कुमार के अनुसार, ठंड के दिनों में हमारी धमनियों में रक्त प्रवाह कम होने लगता है। इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जब तापमान काफी नीचे चला जाता है, तब धमनियां सिकुड़ने लगती हैं। अगर इन दिनों कोई तनाव में है, तो उसे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर का वह तंत्र बिगड़ जाता है जो हमारे सोने-जागने से लेकर थकान और ऊर्जा को संतुलित करता है। जब इसमें असंतुलन पैदा होता है, तो दौरा पड़ने का अंदेशा बढ़ जाता है। देखा गया है कि सर्दियों में लोग चलते-फिरते नहीं हैं। व्यायाम नहीं करते। तब ये दिल ही है जो शरीर को गर्म रखने के लिए लगातार परिश्रम करता है। ऐसे में इसका ध्यान रखने की जरूरत होती है।

सर्दियों में हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा

सर्दियों के मौसम में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाना कोई संयोग नहीं है। डॉ. प्रमोद कुमार के अनुसार, खासतौर पर सुबह के समय ठंड का असर हृदय पर ज्यादा पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि शीतकाल में हार्ट अटैक के मामले पूरी दुनिया में और भारत में अपने चरम पर देखे जाते हैं।

परेशानी का सबब

सर्दियां दिल पर कभी-कभी भारी पड़ जाती है। जब रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं, तब दिल पर दबाव बढ़ जाता है। इन्हीं दिनों रक्त गाढ़ा होने की समस्या पैदा होती है। रक्त का थक्का हृदय के लिए खतरनाक बन जाता है। एक बड़ी वजह यह भी है कि ठंड के कारण लोग एक ही जगह लगातार बैठे रहते हैं। नतीजा शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए दिल को अधिक काम करना पड़ता है। यानी वह शरीर में आक्सीजन पंप करने के लिए दोगुना काम करता है। यही वह समय होता है, जब हृदय की मांसपेशियों में आक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। यही वजह है कि लोगों को हृदयाघात होता है।

जब थकने लगे दिल

मनुष्य के पूरे शरीर में गुर्दे, यकृत और मस्तिष्क के साथ दिल एक ऐसा अंग है, जिसकी बड़ी भूमिका है। यह काम करना बंद कर दे, तो मनुष्य एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता। अगर यह नियमित रूप से और ठीक से काम न करे, तो धमनियों में रक्त संचार अवरुद्ध हो जाएगा। यह दिल ही है जो बिना एक पल गंवाए पूरे शरीर को आक्सीजन पहुंचाता है। अशुद्ध रक्त जमा होने पर उसे फेफड़े में शुद्ध करने के लिए भेजता है। हृदय से जुड़ी शिराएं जीवन भर बिना थके लगातार काम करती हैं। सर्दियों में दिल कुछ संकेत देता है। बताता है कि वह थक रहा है। कुछ संकेत को पहचाना जा सकता है। जैसे हाथ, जबड़े, पीठ और कंधे में दर्द होने लगे या अधिक पसीना आने लगे, तो संकेत को समझ लेना चाहिए।

सर्दियों में हार्ट अटैक से बचने के उपाय

कड़ाके की सर्दियों में सुबह पांच-छह बजे पार्क में न जाएं। सैर के लिए धूप निकलने का इंतजार करें। पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें। हाथ-पैर और सिर को ढक कर रखें। हल्के-फुल्के व्यायाम जरूर करें। योगाभ्यास भी किया जा सकता है। इन दिनों तनाव से बचना चाहिए। शराब और सिगरेट से परहेज करना चाहिए। रक्तचाप के साथ शुगर भी नियंत्रण में रखें। आहार में ताजे फल शामिल करना चाहिए। हेल्दी फैट के लिए बादाम और मछली ले सकते हैं। भोजन में नमक कम करें। पर्याप्त पानी लें, मगर बहुत ज्यादा भी नहीं। अपनी दवाइयां समय पर लें।

निष्कर्ष

सर्दियों में हृदय की सेहत का खास ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है, खासकर हार्ट पेशेंट्स के लिए। डॉ. प्रमोद कुमार के मुताबिक, जाड़े का मौसम दिल के मरीजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही सावधानियां अपनाकर इसे सुरक्षित और आनंददायक बनाया जा सकता है। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच, दवाइयों का समय पर सेवन और लाइफस्टाइल में थोड़ी सतर्कता, ये सरल उपाय सर्दियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।

डिस्क्लेमर

यह स्टोरी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार की गई है। किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या डाइट में परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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