अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद बहुत ही आवश्यक होती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका दिमाग और भी ज्यादा क्रिएटिव हो और आप काम में अधिक क्रिएटिविटी दिखाकर अच्छे से काम कर सकें, तो आपको हर रोज अपने काम में कुछ बदलाव करने होंगे, जिससे जल्दी आपका दिमाग तेज काम करेगा। यह बदलाव हर चार घंटे में 20 मिनट की झपकी लेना है, जो दिन में केवल दो घंटे की नींद है। हालांकि यह दिलचस्प लगती है, लेकिन नींद के पैटर्न में इस तरह के अत्यधिक बदलाव के दौरान शरीर और मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? चलिए एक्सपर्ट्स से जानते हैं हर चार घंटे में 20 मिनट की नींद लेने से स्वास्थ्य या शरीर पर क्या असर पड़ता है।

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. जगदीश हिरेमथ ने इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम को बताया कि पॉलिफेसिक नींद एक तरह से नींद का ही पैटर्न है, जिसमें व्यक्ति अपनी नींद को दिन भर में विभाजित करता है। मतलब कि आमतौर पर हम 7 से 9 घंटे की नींद या दिन में थोड़ी-थोड़ी दो बार नींद लेते हैं, लेकिन इस पैटर्न में हर चार घंटे में 20 मिनट की छोटी झपकी शामिल है।

क्या ध्यान रखें

डॉ. हिरेमथ के मुताबिक, यह नींद पैटर्न हमारी कुल नींद के समय को काफी कम कर देता है , जिससे शरीर को पुनः स्वस्थ होने के लिए REM (रैपिड आई मूवमेंट) नींद पर निर्भर रहना पड़ता है।

याददाश्त

पॉलिफेसिक शेड्यूल से नींद की कमी लॉन्ग र्टम मेमोरी को खराब कर सकती है। नेचर न्यूरोसाइंस (2017) में प्रकाशित अध्ययनों के मुताबिक, बाधित नींद चक्र हिप्पोकैंपल गतिविधि में बाधा डालते हैं, जो याददाश्त भंडारण के लिए महत्वपूर्ण है।

ध्यान और निर्णय लेना

नींद के डीकंस्ट्रक्शन से संज्ञानात्मक भार बढ़ता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है। जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च (2020) ने नोट किया कि पॉलिफेसिक नींद का पालन करने वाले लोगों में समस्या का समाधान करने की क्षमता कम हो गई और कार्यकारी कार्य भी प्रभावित हुआ।

एक हफ्ते के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन

डॉ. हिरेमथ के अनुसार, पॉलिफेसिक नींद के शेड्यूल से कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। नींद की कमी से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म बाधित होता है और चिंता और थकान बढ़ती है। नींद की कमी काम को प्रभावित करती है। इसके साथ ही बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। नींद में कमी बढ़ी हुई हृदय गति और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ा हुआ है, जो हृदय संबंधी जोखिम पैदा करता है।

सर्कैडियन मिसअलाइनमेंट

शरीर एक स्थिर शेड्यूल बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है, जिसके परिणामस्वरूप हार्मोनल असंतुलन, थकान और मूड विकार होते हैं। स्लीप मेडिसिन रिव्यू (2020) के एक अध्ययन ने इस बात पर जोर दिया कि लंबे समय तक सर्कैडियन व्यवधान मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मोटापे के जोखिम को बढ़ाते हैं।

ऐसे ही अगर आपकी रात में बार-बार नींद खुल जाती है तो आपको सोने से पहले ये ड्रिंक्स पीना चाहिए