पीठ के निचले हिस्से और ग्रीवा क्षेत्र (गर्दन) में रीढ़ की हड्डी में दर्द अमूमन हो जाता है। मांसपेशियों में खिंचाव और मोच इस दर्द का सबसे आम कारण है। रीढ़ की हड्डी में यदि किसी प्रकार का दर्द उभरता है या चोट लगती है तो इसका शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। समस्या बढ़ने पर व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से लाचार सा हो जाता है, बल्कि मानसिक तौर पर भी वह कमजोर महसूस करता है।
यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो रीढ़ की हड्डी का दर्द लंबे समय तक परेशान कर सकता है। एक बार यह शरीर में ठहर जाए, तो बहुत मुश्किल से निकलता है। रीढ़ की हड्डी में चोट को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसका दर्द बाद में उम्र बढ़ने पर भी उभर आता है। यही नहीं, इससे लकवा तक हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी शरीर का प्रमुख अंग होती है। इसके तीन भाग- सर्वाइकल यानी गर्दन, थोरासिक यानी छाती एवं लुम्बार यानी पीठ का निचला हिस्सा होते हैं। तीनों में अलग-अलग वजहों से दर्द उभरता है। इसलिए उठने, बैठने या वजन उठाने के दौरान इसका खास ख्याल रखना चाहिए।
लक्षण
कमर के निचले हिस्से में दर्द और कभी-कभी जकड़न का एहसास होने पर समझ जाना चाहिए कि पीठ दर्द परेशान करेगा। कभी-कभी सोने के दौरान और कभी-कभी चलने-फिरने या व्यायाम के बाद दर्द महसूस होता है। यह दर्द कमर से होता हुआ कूल्हों तक जाता है। इस दर्द में कई बार सुन्न होने का एहसास होता है। कमर के अलावा गर्दन में दर्द और जकड़न जैसी परेशानियां उभरती हैं, जिन्हें सर्वाइकल का दर्द कहते हैं। इसमें पीड़ित को चक्कर के साथ उल्टी आना, जी घबराना जैसी समस्या भी होती है।
कारण
रीढ़ की हड्डी में दर्द के कई कारण होते हैं। इनमें ओस्टियोआर्थराइटिस एक है। इस स्थिति में कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण वर्टिब्रा एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं और उससे दर्द का एहसास होता है।दूसरे, प्रत्येक वर्टिब्रा के बीच डिस्क पाई जाती है, जिसके कारण वे आपस में टकराते नहीं है। कुछ कारणवश डिस्क पर प्रभाव पड़ता है और बहुत ज्यादा दबाव पड़ने पर यह डिस्क फट या टूट भी सकती है। इसके कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है।
तीसरे, शरीर की सबसे लंबी नस, जिसे साइटिक नर्व कहा जाता है, से संबंधित दर्द होता है, जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक जाता है। चौथे, स्पाइनल स्टेनोसिस नसों की जगह सिकुड़ने की स्थिति को कहते हैं। इस कारण दर्द के साथ-साथ सुन्नता और झुनझुनी आदि की शिकायत भी होती है। इसके अलावा उठने, बैठने का गलत तरीका, लंबे समय तक एक अवस्था में बैठकर काम करना, गलत तरीके से ज्यादा बोझ उठा लेना आदि के कारण भी पीठ का दर्द होता है।
उपाय
कमर के दर्द से दूर रहना चाहते हैं, जीवनशैली में बदलाव करें और कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। इसमें सबसे प्रमुख है बेहतर और स्वस्थ खानपान। अपनी डाइट में ताजा फल, सब्जियां, दालें और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें। अपनी जीवनशैली में व्यायाम को जरूर महत्त्व दें। बर्फ का सेक, गर्म सेक, स्ट्रेचिंग के साथ-साथ डाक्टर की सलाह पर दवाओं से इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है। सीधे चलने एवं सीधे खड़े रहने की आदत डालें।
ज्यादा झुक कर बैठने से बचें। धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें। सोने की अवस्था का जायजा लें, उसे व्यवस्थित करें। यदि पेट के बल सोने की आदत है, तो ऐसा करना छोड़ें। यदि आप लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटाप पर काम करते हैं तो अपने बैठने की अवस्था के साथ ही कंप्यूटर या लैपटाप को भी ऐसे रखें ताकि ज्यादा झुकना न पड़े।
इलाज
पीठ का दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिन और कभी-कभी महीनों तक भी रह सकता है। हां, यदि इसका कारण गंभीर नहीं है, तो यह धीरे-धीरे कम होता जाता है और फिर अपने आप खत्म हो जाता है। दर्द एक हफ्ते के बाद भी नहीं जा रहा है, तो डाक्टर से सलाह जरूर लें और उसी के अनुसार इलाज आगे बढ़ाएं। (यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)