खराब डाइट और बिगड़ते लाइफस्टाइल का सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। अनियमित खानपान, जंक फूड, ज्यादा तला-भुना और फाइबर की कमी पाचन को कमजोर बना देती है। इसके साथ ही बढ़ता मानसिक तनाव भी डाइजेस्टिव सिस्टम की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे खाना ठीक से नहीं पच पाता। पाचन से जुड़ी समस्याएं आज के समय में बेहद आम हो गई हैं। किसी को बार-बार पेट में गैस और एसिडिटी की शिकायत रहती है, तो कुछ लोग ब्लोटिंग, भारीपन और पेट फूला रहने की परेशानी से जूझते हैं। कई बार कब्ज, पेट दर्द, जी मिचलाना और भूख न लगना भी खराब पाचन के संकेत होते हैं। अगर समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए, तो ये समस्याएं धीरे-धीरे क्रॉनिक बन सकती हैं और ओवरऑल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
पाचन को दुरुस्त करने के लिए डाइट में फाइबर युक्त फूड्स शामिल करना, पर्याप्त पानी पीना, तनाव को कंट्रोल करना और रोजाना थोड़ी फिजिकल एक्टिविटी को दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है, ताकि पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहे। पाचन से जुड़ी परेशानियों का इलाज करने के लिए आजकल लोग घरेलु नुस्खों को अपनाने पर जोर दे रहे हैं। कुछ देसी नुस्खे अपनाकर और लाइफस्टाइल में बदलाव करके आप अपने पाचन को दुरुस्त कर सकते हैं।
एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर और प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर विमल छाजेड़ ने बताया अगर आप चाहते हैं कि आपका पाचन दुरुस्त रहे, आप जो भी खाएं वो पेट में सड़े नहीं बल्कि पूरी तरह पचे तो आप कुछ खास डाइट टिप्स और लाइफस्टाइल में बदलाव को अपना लें। आइए जानते हैं कि कौन से तरीके हैं जो पाचन को दुरुस्त रखने के लिए अपनाना जरूरी हैं।
फाइबर रिच फूड पाचन सुधारने की पहली शर्त
हाई फाइबर डाइट पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाती है। फल, सब्जियां, छिलके वाली दालें, ओट्स, बींस और सेब जैसे फूड्स आंतों की मूवमेंट को बेहतर बनाते हैं। फाइबर मल को नर्म करता है, जिससे कब्ज की समस्या कम होती है। इसके अलावा फाइबर आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है, जिससे गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है।
पर्याप्त पानी पीना है जरूरी
पाचन को दुरुस्त रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना बेहद जरूरी है। दिनभर में कम से कम 2 से ढाई लीटर पानी पीने से भोजन आसानी से टूटता है और आंतों में उसका मूवमेंट स्मूथ रहता है। पानी की कमी से डाइजेशन स्लो हो जाता है, जिससे कब्ज, गैस और पेट भारी रहने की समस्या हो सकती है। सही मात्रा में पानी पीने से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और पेट हल्का महसूस होता है।
खाने का सही तरीका भी करता है बड़ा फर्क
खाने का तरीका पाचन पर सीधा असर डालता है। भोजन हमेशा धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए। जब हम अच्छे से चबाते हैं, तो सलाइवा भोजन को पहले ही पचाने में मदद करता है। खाते वक्त मोबाइल देखने या बातचीत करने से ध्यान भटकता है और खाना ठीक से नहीं चब पाता। इसका असर डाइजेशन पर पड़ता है और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
मसाले और तनाव का पाचन से कनेक्शन
भारतीय मसाले जैसे अजवाइन, पुदीना, काली मिर्च और हल्के मसाले पाचन अग्नि को मजबूत बनाते हैं। ये गैस, अपच और पेट दर्द में राहत देते हैं। वहीं ज्यादा तनाव पाचन तंत्र की गतिविधि को धीमा कर देता है। स्ट्रेस के समय पाचन से जुड़े हार्मोन प्रभावित होते हैं, जिससे खाना ठीक से नहीं पच पाता। इसलिए पाचन के लिए मसालों के साथ मानसिक शांति भी जरूरी है।
फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं और गलत आदतों से दूरी बनाएं
डॉक्टर रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक या हल्की फिजिकल एक्टिविटी की सलाह देते हैं। इससे आंतों की मूवमेंट बेहतर होती है और पाचन मजबूत बनता है। वहीं ओवरईटिंग, देर रात खाना और ज्यादा तला-भुना भोजन पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालता है। ये आदतें गैस, एसिडिटी और कब्ज को बढ़ाती हैं, इसलिए इन्हें धीरे-धीरे छोड़ना जरूरी है।
नेचुरल एंजाइम और प्रोबायोटिक्स का फायदा
पपीता और अनानास जैसे फलों में मौजूद नेचुरल एंजाइम प्रोटीन को पचाने में मदद करते हैं। ये पेट में भारीपन और अपच को कम करते हैं। वहीं दही में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया यानी प्रोबायोटिक्स आंतों की सेहत को सपोर्ट करते हैं। नियमित रूप से दही का सेवन गट हेल्थ सुधारता है और गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याओं से काफी हद तक राहत दिलाता है।
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