आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और कामकाज में व्यस्तता के चलते लाइफस्टाइल पूरी तरह प्रभावित हो चुका है, जिसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी लोगों को अपना शिकार बन रही हैं। लेकिन, जब कोई सालों से जिम कर रहा है। खानपान भी सालों से अच्छा कर रहा है, ना धूम्रपान और ना कोई जंक फूड खा रहा है। इन सब के बाद भी 40 साल की उम्र में ही जिम करते हुए अचानक हार्ट अटैक आ गया और डॉक्टरों ने जान भी बचा ली। वो एक फिल्म डायलॉग ‘मौत को छूकर टक से वापस आ गया’ दिल्ली के मोहित सचदेवा के लिए सच साबित हो गया।
दरअसल, दिल्ली के लाजपत नगर निवासी मोहित सचदेवा (40) के लिए 9 जुलाई की सुबह एक आम सुबह थी। ठीक वैसे ही जैसे पिछले 20 सालों से वे सुबह 7.15 बजे जिम जाते थे, लेकिन सुबह 8.45 बजे यानी सिर्फ आधे घंटे बाद उनकी जिंदगी बदल गई। पेशे से रियल एस्टेट एजेंट मोहित को चक्कर आने लगे और 180 किलो का लेग प्रेस करते हुए वे बेहोश हो गए। उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। वे अपनी कहानी सुनाने के लिए जिंदा बच गए और क्योंकि सिर्फ 8 मिनट में उनकी जान बचा ली। चलिए आपको बताते हैं मोहित की कैसे जान बचाई गई और हार्ट अटैक आने का क्या कारण था।
मोहित सचदेवा की पत्नी रूबी सचदेवा ने बताया कि उन्हें उनके जिम के दोस्तों का फोन कॉल याद है, जिसमें बताया गया था कि उन्हें मेदांता-मूलचंद हार्ट सेंटर ले जाया गया है। वे कहती हैं, “जिम में किसी ने उन्हें कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया था, जिससे उनकी जान बच गई। यह प्रक्रिया, जिसमें छाती को दबाया जाता है और मुंह से मुंह में ऑक्सीजन दी जाती है, कार्डियक अरेस्ट के दौरान जान बचाने में मदद कर सकती है, जब दिल धड़कना बंद कर देता है या मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन करने के लिए इतनी कमजोर गति से धड़कता है। दरअसल, देश में युवाओं में अचानक होने वाले कई कार्डियक अरेस्ट सीपीआर की कमी के कारण ही मौत का कारण बनते हैं।
कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन ने कैसे किया काम
जब मोहित को अस्पताल लाया गया, तब भी उसकी नाड़ी नहीं चल रही थी। उसे सीपीआर, बिजली के झटके देने पड़े और जब मॉनिटर पर नाड़ी दिखाई दी, तो उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। ईआर कंसल्टेंट डॉ. अब्बास अली खताई कहते हैं, “अचानक कार्डियक अरेस्ट के बाद हर मिनट महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ऑक्सीजन युक्त ब्लड फ्लो के अभाव में मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। फिर एक-एक करके सभी अंग बंद हो जाते हैं।”
कैसे आया हार्ट अटैक
एक बार जब दिल की धड़कन स्थिर हो गई, तो मेदांता मूलचंद हार्ट सेंटर के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तरुण कुमार ने ब्लड प्रेशर बढ़ाने में मदद करने के लिए दवाएं दीं। एक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) और बेडसाइड इकोकार्डियोग्राम के बाद, डॉक्टरों ने एंजियोग्राफी की और पाया कि उसके हार्ट की तीन वाहिकाएं ब्लॉक हो गई थीं। हमने सबसे पहले उस धमनी की एंजियोप्लास्टी की जो हाल ही में ब्लॉक हो गई थी, रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने के लिए एक इनवेसिव प्रक्रिया और दीवारों को अलग रखने और उन्हें फिर से संकीर्ण होने से रोकने के लिए एक स्टेंट, एक जालीदार पुल लगाया। जब इस प्रक्रिया से धमनियों में ब्लड फ्लो ठीक हो गया, तब मरीज को हार्ट के आईसीयू में ले जाया गया, जहां उसे होश आ गया।
डॉ. कुमार कहते हैं, “हमने बाद में उसकी शेष धमनियों को खोलने के लिए एक और प्रक्रिया निर्धारित की ताकि बहुत कमजोर हार्ट और गुर्दे को अस्थिर न किया जा सके। 24 घंटों के भीतर, उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया और उसकी ब्लड प्रेशर की दवाओं को कंट्रोल कर दिया गया और फिर तीन दिन बाद उसे घर भेज दिया गया। कोरोनरी धमनी में रुकावट हार्ट की मांसपेशियों में ब्लड फ्लो को बाधित करती है, जिससे संभावित रूप अनियमित दिल की धड़कन और धड़कन बंद हो सकती है। मोहित के मामले में रुकावट ने उनके कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर किया। मोहित ने जिस चीज को नजरअंदाज किया था वह यह था कि पिछले दो सालों से वर्कआउट के दौरान उन्हें हल्का दर्द हो रहा था और उन्होंने इसे मांसपेशियों में खिंचाव समझकर नजरअंदाज कर दिया था। मोहित की यही अनदेखी उनकी जान तक ले सकती थी।