अमेरिका में 25 फीसद लोग ऐसे हैं, जो सुई लगवाने से बचते हैं और यही वजह है कि वह कोरोना रोधी टीके नहीं लगवा रहे हैं। ऐसे लोगों को कोरोना के टीकाकरण स्टॉल तक लाने के लिए बीयर या लॉटरी टिकट की घूस भी सुई से उनके डर को दूर नहीं कर पा रही है। अप्रैल 2021 में कोरोना रोधी टीका नहीं लगवाने वाले 600 अमेरिकी वयस्कों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि 52 फीसद ने सुई के मध्यम अथवा गंभीर डर के कारण ऐसा नहीं किया।
आॅगस्टा विश्वविद्यालय में दर्द प्रबंधन के विशेषज्ञ चिकित्सक एमी बैक्सटर टीकाकरण से होने वाले दर्द के प्रभाव का अध्ययन करते हैं। शोध से सिद्ध हुआ है कि वयस्को में सुई लगवाना दर्द, बेहोशी, घबराहट और भय जैसी बातों से जुड़ा है, लेकिन अगर उन कारणों को समझ लिया जाए, जिनकी वजह से सुई का डर इतना सामान्य हो गया है तो शर्मिंदगी को झेलना आसान होगा।
जेजी हैमिल्टन द्वारा 1995 में किए गए ऐतिहासिक अध्ययन के बाद से सुई का डर नाटकीय रूप से बढ़ गया है। हैमिल्टन के अनुसार 10 फीसद वयस्क और 25 फीसद बच्चे सुइयों से डरते थे। उस अध्ययन में, वयस्कों ने बताया कि उन्हें पांच साल की उम्र के आसपास सुई लगवाने के दौरान तनावपूर्ण अनुभव हुआ। जब हैमिल्टन के अध्ययन में भाग लेने वाले प्रीस्कूल में थे, तब टीके केवल दो वर्ष की आयु तक लगाने निर्धारित किए गए थे।
हालांकि, 1980 के बाद पैदा हुए अधिकांश लोगों के लिए, चार से छह साल की उम्र के बीच दिए जाने वाले बूस्टर इंजेक्शन टीके के अनुभव का एक नियमित हिस्सा बन गए हैं। बूस्टर का समय प्रतिरक्षा को तो बढ़ाता है, लेकिन यह उम्र के उस दौर में लगाया जाता है, जब यह डर का कारण बन जाता है। साक्ष्यों से पता चलता है कि यदि सुई लगते समय बच्चों का ध्यान भटका दिया जाए तो उनके दर्द और डर को कम किया जा सकता है। वयस्कों में सुई के डर को कम करने के लिए इंजेक्शन अध्ययनों के निष्कर्षों के आधार पर कुछ संभावित उपायों का सुझाव दिया जा सकता है।