कब्ज एक ऐसी समस्या है जिसका सामना हर किसी को अपने जीवन में कभी न कभी करना पड़ता है। कुछ लोगों के लिए यह अस्थायी होती है, जबकि अन्य के लिए यह लंबे समय तक चलने वाली और पुरानी समस्या बन जाती है। खराब खानपान, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव, कुछ दवाएं और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इसके मुख्य कारण हैं। कब्ज के दौरान मल ढीला नहीं होता, उसका आकार कठोर और सूखा होता है, जिससे पेट फूलना, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं होती हैं।
आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. सलीम जैदी ने बताया कि पेट खाली न होना, पेट दर्द और पाचन संबंधी समस्याएं इन समस्याओं को और बढ़ा देती हैं। ऐसे में प्राकृतिक उपचारों का इस्तेमाल जरूरी है। पर्याप्त पानी पीने, फाइबर युक्त फूड्स को शामिल करने और फलों का सेवन करके कब्ज का प्राकृतिक रूप से इलाज किया जा सकता है। केला एक ऐसा फल है, जो पाचन में सुधार और पुरानी कब्ज के इलाज के रूप में बहुत उपयोगी हो सकता है।
केले के फायदे
केले में पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी6, विटामिन सी और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये न केवल एनर्जी प्रदान करते हैं, बल्कि आंतों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। पके केले खाने से मल त्याग में सुधार होता है और मल त्याग आसानी से होता है। जिन लोगों को पुरानी कब्ज की समस्या है, उन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार पके केले खाने चाहिए, क्योंकि कच्चे केले में स्टार्च की मात्रा अधिक होने के कारण कब्ज की समस्या बढ़ सकती है।
क्या केला दस्त को कंट्रोल करता है?
केले न केवल कब्ज के लिए, बल्कि दस्त को कंट्रोल करने में भी उपयोगी होते हैं। पके केले में पेक्टिन प्रचुर मात्रा में होता है, जो पानी सोखकर मल को थोड़ा ठोस बनाता है। डॉक्टर दस्त से पीड़ित लोगों को केले, चावल, सेब और टोस्ट खाने की सलाह देते हैं। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और आंतें स्वस्थ रहती हैं।
पुरानी कब्ज पर केले का असर
क्रोनिक कब्ज एक लंबी पाचन समस्या है। यह कम फाइबर, कम पानी के सेवन और पेट में कम गतिशीलता के कारण होता है। पके केले का रोजाना सेवन करने से इनमें मौजूद घुलनशील और अघुलनशील फाइबर मल त्याग को बढ़ाते हैं और मल त्याग को नियमित करते हैं। केले में मौजूद प्रीबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देते हैं, जिससे आंत स्वस्थ रहती है।
पेट की मांसपेशियों के लिए केले के फायदे
केले में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम आंतों की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। पके केले का नियमित सेवन कब्ज, पाचन संबंधी समस्याओं, पेट फूलने और गैस की समस्या को कम करता है। ये प्राकृतिक उपचार पेट को स्वस्थ रखते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक, पुरानी कब्ज का इलाज करते समय कच्चे केले से बचें, क्योंकि इनमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। पके केले, पर्याप्त पानी पीना और फाइबर युक्त फूड्स का सेवन पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और मल त्याग को नियमित रखने में बहुत मददगार होते हैं। प्राकृतिक उपचारों से पेट की समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है और आंतों की हेल्थ में सुधार किया जा सकता है।
वहीं, फिटनेस ट्रेनर नवनीत रामप्रसाद के अनुसार, सिर्फ लंबी वॉक करना 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मजबूत बनाने के बजाय और भी कमजोर कर सकता है।